सीएम एकनाथ शिंदे ने बुलाई सर्वदलीय बैठक, बोले- फुलप्रूफ के साथ कानूनी जांच में खरा उतरेगा….

मराठा आरक्षण से बढ़ रहे विवाद के बीच मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सोमवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई। महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय को कोटा देना चाहती है जो फुलप्रूफ के साथ-साथ कानूनी जांच में खरा उतरेगा। हालांकि, इसको लेकर कोई भी निर्णय जल्दबाजी में नहीं लिया जाएगा।

ऐसा आरक्षण देना चाहती है महाराष्ट्र सरकार

उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि सरकार बैठक में मराठों और अन्य समुदायों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर व्यापक सहमति बनाने का प्रयास करेगी। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मुंबई में संवाददाताओं से कहा, ‘राज्य सरकार मराठा समुदाय को ऐसा आरक्षण देना चाहती है जो अचूक हो और कानूनी कसौटी पर खरा उतरे। हम जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं ले रहे हैं। राज्य किसी को धोखा नहीं देना चाहता। उन्होंने कहा कि सरकार को यह स्थापित करने की जरूरत है कि मराठा समुदाय सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा है और अन्य समुदायों को भी आश्वस्त करना होगा कि उनका कोटा प्रभावित नहीं होगा।’

मराठा आरक्षण की मांग एक सामाजिक मुद्दा है न कि राजनीतिक

मुख्यमंत्री शिंदे ने आज शाम मुंबई में होने वाली सर्वदलीय बैठक से उनकी अपेक्षाओं के बारे में पूछा गया। इसपर उन्होंने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि विपक्षी दल कुछ सुझाव देंगे और इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने से बचेंगे।’ उन्होंने बताया कि राज्य सरकार अन्य पिछड़े समुदायों के समान मराठा समुदाय के छात्रों को समानांतर रूप से कई सुविधाएं और वित्तीय सहायता दे रही है।’

14 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे मनोज जारांगे

फडणवीस ने कहा कि ‘राज्य के प्रमुख के रूप में, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आज सर्वदलीय बैठक बुलाई है। एजेंडा मराठा कोटा मुद्दे पर व्यापक सहमति बनाना है। कई संगठनों ने भी आरक्षण को लेकर अपनी मांग उठाई है। पिछले 14 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे कोटा कार्यकर्ता मनोज जारांगे के पानी बंद करने के फैसले के बारे में पूछे जाने पर,उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘सरकार को एक निर्णय लेने की जरूरत है जो कानूनी परीक्षण पास करेगा, अन्यथा समुदाय को नुकसान होगा।’

ओबीसी और मराठा समुदाय

फडणवीस ने कहा कि इस बैठक में राज्य सरकार ऐसा कोई फैसला नहीं लेगी जिससे दो समुदाय (ओबीसी और मराठा) आमने-सामने आ जाएं। जारांगे ने मांग की है कि सभी मराठों को कुनबी दर्जा दिया जाए, जिसका प्रभावी अर्थ ओबीसी कोटा है। राज्य सरकार और जालना जिले के कोटा कार्यकर्ता के बीच अब तक हुई बातचीत का दौर बेनतीजा रहा है। डिप्टी सीएम ने कहा, ‘मैं ओबीसी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि उनके साथ कोई अन्याय नहीं होगा।’

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