दिल्ली सेवा कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से SC ने किया खारिज, पढ़ें खबर…
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग की शक्ति उपराज्यपाल को देने वाले कानून को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि वह पहले से ही दिल्ली सरकार की याचिका पर विचार कर रहा है।
पीठ ने कहा- याचिका की कोई जरूरत नहीं है
उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और मनोज मिश्रा की पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप यहां क्यों आए हैं… दिल्ली सरकार पहले ही इस संशोधित कानून को चुनौती दे चुकी है और किसी याचिका की कोई जरूरत नहीं है।
साथ ही कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाने का विचार कर सकती है और इसके चलते याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस ले ली।
SC ने सरकार को थी याचिका में संशोधन की अनुमति
अधिवक्ता मुकेश कुमार द्वारा दायर जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए पीठ ने स्पष्ट किया कि उसका आदेश दिल्ली सरकार की पिछली याचिका की “लंबित अवधि को प्रभावित नहीं करेगा”। इससे पहले शीर्ष अदालत ने इस अध्यादेश के कानून बन जाने के बाद 25 अगस्त को दिल्ली सरकार को केंद्र सरकार के अध्यादेश को चुनौती देने वाली अपनी याचिका में संशोधन करने की अनुमति दी थी।
संसद ने हाल ही में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक 2023 को मंजूरी दे दी थी और राष्ट्रपति की सहमति के बाद यह विधेयक कानून बन गया। इसके बाद से राजधानी में उपराज्यपाल को अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग पर अंतिम फैसला करने का अधिकार होगा।