अब AI की मदद से फिशिंग ईमेल लिख रहे हैकर्स, हैरान करने वाली रिपोर्ट आई सामने
नई दिल्ली, एआई के आने के बाद से ही एक बड़ी क्रांति निकल कर सामने आई है। बड़ी-बड़ी टेक कंपनियां इसपर काम करने के साथ-साथ इसे अपनाने पर विचार कर रही हैं। हालांकि, एआई का गलत इस्तेमाल कोई नई बात नहीं है।
रॉयटर्स के मुताबिक हैकर्स और स्कैमर्स फ़िशिंग ईमेल लिखने और ऑनलाइन गलत जानकारी फैलाने के लिए एआई का इस्तेमाल कर रहे हैं। ये बात कनाडा के शीर्ष साइबर सुरक्षा अधिकारी ने रॉयटर्स को बताई है। सिलिकॉन वैली में आने वाली टेक्नोलॉजी क्रांति को साइबर अपराधियों ने भी अपनाया है।
एआई का गलत इस्तेमाल कर रहे हैकर्स
इस सप्ताह एक साक्षात्कार में, कैनेडियन सेंटर फॉर साइबर सिक्योरिटी के प्रमुख सामी खौरी ने कहा कि उनकी एजेंसी ने पाया ही कि एआई का इस्तेमाल फिशिंग ईमेल और गलत जानकारी को फैलाने में किया जा रह है। सामी खौरी ने कोई डिटेल या सबूत नहीं दिए, लेकिन उनका यह दावा है कि साइबर अपराधी पहले से ही एआई का इस्तेमाल कर रहे थे।
बता दें, हाल के महीनों में कई साइबर वॉचडॉग ग्रुप ने एआई के काल्पनिक जोखिमों के बारे में चेतावनी देते हुए रिपोर्ट प्रकाशित की हैं। इसमें बड़े लैंग्वेज मॉडल (एलएलएम) का भी नाम सामने आया है।
LLMs पर भी उठ रहे सवाल
मार्च में, यूरोपीय पुलिस संगठन यूरोपोल ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें कहा गया था कि ओपनएआई के चैटजीपीटी जैसे मॉडल ने केवल अंग्रेजी भाषा की बुनियादी समझ के साथ भी किसी संगठन या व्यक्ति का अत्यधिक यथार्थवादी तरीके से प्रतिरूपण करना संभव बना दिया है।
उसी महीने, ब्रिटेन के राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा केंद्र ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा कि एक जोखिम था कि अपराधी अपनी मौजूदा क्षमताओं से परे साइबर हमलों में मदद के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। एलएलएम ने तीन पैराग्राफ के ईमेल के साथ जवाब दिया और अपने लक्ष्य से तत्काल चालान के लिए मदद मांगी।
ChatGPT के नाम चल रहे कई फर्जी ऐप
स्कैमर्स नकली Chat GPT AI चैटबॉट्स को रोल आउट करके भोले-भाले यूजर्स का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। कई ऐसे यूजर्स हैं जो फेक चैटजीपीटी का इस्तेमाल कर रहे हैं। एक रिसर्च के अनुसार, OpenAI के GPT-3.5 और बाद में GPT-4 के लॉन्च के साथ-साथ मैलवेयर वेरिएंट की एक नई लहर सामने आई।
ये फेक एप्लिकेशन उन यूजर्स को टारगेट करने के लिए बनाया गया है जो ChatGPT टूल का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे ऐप को बनाने के पीछे स्कैमर्स का सीधा मतलब आपके पैसे से होता है। असली ऐप की तरह दिखने वाले ये नकली ऐप आपके फोन की डेटा को एक्सेस करते हैं और फिर बैंक डिटेल चुराकर आपको ठगी का शिकार बनाते हैं।