सावन में बिहार के रोहितेश्वर महादेव को जल करें अर्पण, सतयुग में हुई थी मंदिर की स्थापना

सावन का महीना आते ही देश के कोने-कोने में मौजूद भगवान शिव के विभिन्न मंदिरों में शिवभक्तों की भीड़ बढ़ने लगती है। काफी लोग ऐसे भी होते हैं जो भगवान शिव के प्रसिद्ध मंदिरों और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर नहीं जाकर इन ऐसी जगहों पर भगवान की पूजा करना चाहते हैं, जहां लोगों की भीड़ तुलनात्मक रूप से कम हो।

भगवान शिव तो आखिर भोलेनाथ हैं…आप चाहे काशी में उनकी पूजा करें या भारत के किसी छोटे से गांव में स्थापित शिवलिंग पर जलाभिषेक करें, पूजा का फल तो आपको उतना ही देंगे। आज हम भगवान शिव के जिस मंदिर के बारे में बता रहे हैं, उसका संबंध सतयुग के राजा हरिश्चंद्र से है। यह मंदिर बिहार के रोहतास में स्थित है जहां भगवान शिव रोहितेश्वर महादेव के नाम से पूजे जाते हैं। इस मंदिर को देश के सबसे पुराने मंदिरों में से एक माना जाता है।

कहां है रोहितेश्वर महादेव का मंदिर?

रोहितेश्वर महादेव का मंदिर बिहार के रोहतास जिले में स्थित है। जो राजधानी पटना से करीब 157 किमी की दूरी पर है। रोहतास जिले के सासाराम में स्थित है भव्य रोहतासगढ़ किला। यह मंदिर रोहतास प्रखंड मुख्यालय से महज 2 किमी की दूरी पर स्थित है। इसी किले से लगभग 2 मील की दूरी पर 28 फीट के एक विशाल शिलाखंड पर स्थित है रोहितेश्वर महादेव का मंदिर।

हालांकि रख-रखाव के अभाव में धीरे-धीरे यह मंदिर खंडहर में तब्दिल होता जा रहा है लेकिन यहां स्थापित भगवान भोलेनाथ के प्रति लोगों की आस्था में कोई कमी नहीं आयी है। खास तौर पर सावन के महीने में दूर-दराज के इलाकों से रोहितेश्वर महादेव को जल अर्पित करने के लिए आने वाले भक्तों का यहां तांता लगा रहता है।

किसने बनवाया था मंदिर व किला?

रोहतासगढ़ किला काफी भव्य है। इस किले या दुर्ग 28 वर्गमील के क्षेत्र में फैला हुआ है। दुर्ग में प्रवेश करने के लिए 83 दरवाजें हैं, जिनपर और किले की दिवारों पर बने पेंटिंग व अन्य कलाकृतियां किसी का भी मन मोह लेने की क्षमता रखता है। यह किला समदुर् तल से 1500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां तक की चढ़ाई पूरी करने में कम से कम डेढ़ से 2 घंटों का समय लग सकता है।

कहा जाता है कि इस किले व यहां स्थापित रोहितेश्वर महादेव के मंदिर का निर्माण अयोध्या के महाराज त्रिशंकु के पोते और सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र के बेटे रोहिताश्व ने करवाया था। जिस तरह राजा भरत के नाम पर हमारे देश का नाम भारत पड़ा, ठीक उसी प्रकार राजा रोहिताश्व के नाम पर रोहतास जिले का नाम रखा गया। जानकारी के मुताबिक इस किले का वर्णन हरिवंश पुराण और ब्रह्मांड पुराण में भी मिलता है।

सावन में शिवभक्तों के आकर्षण का बन जाता है केंद्र

स्थानीय लोगों का मानना है कि रोहितेश्वर महादेव के मंदिर निर्माण राजा हरिश्चंद्र के बेटे रोहिताश्व ने उस समय करवाया था जब वह एक आदिवासी कन्या से विवाह के बाद यहां प्रवास करने लगे थे। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए कुल 84 सीढ़ियां हैं, इसलिए इसे चौरासन मंदिर भी कहा जाता है। सावन के समय यह मंदिर शिव भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र बन जाता है। बांदू के दशाशिष नाथ शिव स्थान के सोन नदी से जल भरकर कांवड़िये रोहितेश्वर महादेव पर जलाभिषेक करने आते हैं।

इस मंदिर के बाहर पश्चिम की तरफ नंदी मंदिर और थोड़ा नीचे उतरने पर उत्तर की तरफ पार्वती मंदिर स्थित है। स्थानीय मान्यता के अनुसार जो भी भक्त सावन में यहां कांवड़ लेकर आता है, वह महादेव का जलाभिषेक करने में जरूर सफल होता है और उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। मंदिर के बाहर भगवान गणेश का भी एक मंदिर स्थित है। भगवान शिव के चौरासन मंदिर के चारों तरफ प्रदक्षिणा पथ भी बना हुआ है।

कैसे पहुंचे रोहितेश्वर महादेव के मंदिर

रोहितेश्वर महादेव का मंदिर रोहतास जिले के सासाराम में मौजूद है। सड़क मार्ग से सासाराम पटना, दिल्ली, कोलकाता, रांची आदि शहरों से जुड़ा हुआ है। अगर आप ट्रेन से जाना चाहते हैं तो सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन डेहरी-ऑन-सोन व सासाराम होगा। यहां से आपको रोहितेश्वर महादेव मंदिर के लिए किराए पर गाड़ियां व टैक्सी आसानी से मिल जाएंगी।

अगर आप विमान से आते हैं तो सबसे नजदीकी एयरपोर्ट पटना है, जो सासाराम से करीब 153 किमी की दूरी पर है। पटना एयरपोर्ट से आपको सासाराम के लिए टैक्सी या किराए पर गाड़ी या फिर पटना जंक्शन से सासाराम के लिए ट्रेन मिल जाएगी।

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