मुस्लिम पर्सनल लॉ और पाक्सो एक्ट को लेकर केरल हाईकोर्ट के दो फैसले, दोनों एक दूसरे से उलट, जानिए कहानी

दिल्लीः एक मुस्लिम शख्स के खिलाफ दर्ज पाक्सो एक्ट के मामले में केरल हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला दिया। नाबालिग पत्नी को गर्भवती करने के बाद दर्ज हुए पाक्सो एक्ट को अदालत ने खारिज कर दिया। जबकि उसके दो दिनों बाद ही 12 अक्टूबर को केरल हाईकोर्ट की एक दूसरी सिंगल बेंच ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ पाक्सो एक्ट के आगे बेअसर है। खास बात है कि दोनों ही फैसले एक ही हाईकोर्ट के हैं और दो दिनों के अंतराल में आए हैं।

सिंगल बेंच के जस्टिस नटराजन ने 10 अक्टूबर को मोहम्मद वसीम अहमद बनाम स्टेट के फैसले में पाक्सो एक्ट को ही खारिज कर दिया। वसीम पर आरोप था कि उसने नाबालिग लड़की से शादी की और फिर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाकर गर्भवती कर दिया। केस दर्ज होने के बाद मामला अदालत के सामने आया। कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों ने एक दूसरे से राजीनामा करने की इच्छा जाहिर की।

हाईकोर्ट ने कहा कि मामले में जांच बढ़ाने का आगे कोई फायदा नहीं है। ये लीगल प्रोसेस के नाम पर मजाक होगा, जबकि दोनों पार्टी राजीनामा करना चाहती हैं। कोर्ट ने वसीम के खिलाफ पाक्सो एक्ट को खारिज करते हुए कहा कि दोनों ने समझौता करना का हलफनामा दायर किया है।

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ध्यान रहे कि इस मामले के 2 दिनों बाद ही केरल हाईकोर्ट की एक और बेंच के जस्टिस राजेंद्र बडामिकर ने कहा था कि मुस्लिम पर्सनल लॉ पाक्सो एक्ट के सामने बेअसर है। उनका कहना था कि पाक्सो एक स्पेशल एक्ट है। काफी सोच विचारकर और कानूनी पहलुओं को ध्यान में रखकर ही इसे तैयार किया गया है।

मामले का दूसरा पहलू ये है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ 15 साल से ऊपर की लड़की से शादी को जायज ठहराता है। बशर्ते लड़की को मासिक धर्म शुरू हो चुके हो। मुस्लिमों में नाबालिग लड़की से शादी करने की घटनाएं आम हैं। लेकिन जब दंपति के बीच विवाद शुरू होता है तो अदालतें इसे लेकर अपनी टिप्पणी देती रही हैं।

क्या कहते हैं दूसरे उच्च न्यायालयों के फैसले

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कुछ समय पहले कहा था कि 15 साल की उम्र के बाद मुस्लिम लड़की अपनी पसंद के शख्स से शादी कर सकती है। उन पर बाल विवाह निरोधक कानून नहीं लगेगा। दिल्ली हाईकोर्ट ने भी एक अहम फैसले में कहा था कि 15 के बाद मुस्लिम लड़की माता-पिता की सहमति के बगैर भी अपनी मर्जी से शादी करने को स्वतंत्र है। वो अपने पति के साथ रह सकती है। शारीरिक संबंध बनने पर पाक्सो एक्ट नहीं लगेगा।

हालांकि पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के एक फैसले पर NCPCR ने सुप्रीम कोर्ट तक दरखास्त लगाई थी। संस्था का कहना था कि हाईकोर्ट का फैसला बाल विवाह निरोधक कानून (PCM एक्ट) की उल्लंघना है, क्योंकि ये नाबालिगों की शादी की अनुमति देता है।

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