अब भारत में भी बनेगी चिप , ताइवान और भारत के बीच होगी यह डील

दिल्ली: सेमीकंडक्टर यानी चिप की कमी से पूरी दुनिया जूझ रही है। भारत में इसका सीधा असर ऑटो और गैजेट्स इंडस्ट्री पर पड़ रहा है। जिसका नतीजा यह है कि ऑटो कंपनियों के प्रोडक्शन में कमी आई है। लेकिन अब यह समस्या जल्द ही दूर होने वाली है। चिप की कमी को दूर करने के लिए भारत और ताइवान के बीच एक समझौते पर बातचीत चल रही है, जिसके तहत भारत में ही चिप का प्रोडक्शन किया जाएगा। इससे कंपोनेंट पर लगने वाले टैरिफ में भी कटौती होगी।

आपको बता दें कि 80% चिप ताइवान और साउथ कोरिया में बनते हैं। ऐसे में ये बातचीत सफल होती है तो इसका भारत में पॉजिटिव असर पड़ेगा। हालांकि जानकारों का कहना है कि इस डील से चीन के नुकसान होगा और एक नया विवाद जन्म ले सकता है।

भारत और ताइपेई के अफसर हफ्तों से चिप बनाने वाले प्लांट की डील करने में लगे हैं। बताया जा रहा है कि भारत में $7.5 बिलियन (करीब 55.23 हजार करोड़ रुपए) की लागत का चिप प्लांट बनाया जाएगा, इसमें 5G डिवाइस से लेकर इलेक्ट्रिक कार तक के कंपोनेंट शामिल होंगे।

यह डील उस समय हो रही है जब दुनियाभर के लोकतांत्रिक देश चीन के खिलाफ खड़े होने के लिए आर्थिक और सैन्य संबंधों को बढ़ा रहे हैं। जहां एक ओर ताइवान से ये डील करना फायदे का सौदा होगा वहीं दूसरी ओर चीन से तनाव बढ़ने का डर बना है। आपको बता दें कि ताइवान को चीन अपने देश का ही हिस्सा मानता है। उधर, ताइवान खुद को स्वतंत्र देश समझता है। हाल ही में भारत में चिप की कमी की वजह से ही जियो फोन के लॉन्च में देरी हुई है। जिसे गूगल के साथ साझेदारी से बनाया जा रहा है। अभी भारत 24 बिलियन डॉलर ( लगभग 1.77 लाख करोड़ रुपए) के सेमीकंडक्टर को इंपोर्ट करता है, जो साल 2025 तक लगभग 100 बिलियन डॉलर (करीब 7.38 लाख करोड़ रुपए) तक पहुंचने का अनुमान है।

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