हाइड्रोजन रिसाव के कारण मून रॉकेट का निर्धारित लॉन्च स्थगित, इस दिन नासा फिर करेगा प्रयास
वाशिंगटन : एक हाइड्रोजन रिसाव और राकेट में आई एक दरार ने सोमवार को नासा को अपने आर्टेमिस मून रॉकेट के निर्धारित लॉन्च को स्थगित करने के लिए मजबूर कर दिया. स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) के नाम से विख्यात इस रॉकेट को 29 अगस्त की अपनी निर्धारित उड़ान के लिए फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर में पैड 39B से अपनी डेब्यू उड़ान भरनी थी.
उड़ान न भरने की यह खबर तब आई जब तकनीशियनों ने बार-बार राकेट में फ्यूल भरने की प्रक्रिया को चालू और बंद करना शुरू किया जिससे अनुमान हो गया था कि राकेट में कुछ तकनीकी खराबी है. न्यूज़ एजेंसी AFP के मुताबिक उड़ान के लिए मिली महज दो घंटे की विंडो में बिजली गरजने के कारण पहले ही ईंधन भरने में एक घंटे की देरी हो गई थी. उसके बाद दो लीकेज मिलने के बाद देरी बढ़ती चली गई.
लीकेज मिलने के बाद अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने ट्वीट कर रॉकेट के निर्धारित लॉन्च को स्थगित करने की जानकारी दी. नासा ने कहा कि इंजीनियर आर्टेमिस I लॉन्च प्रयास के दौरान एकत्र किए गए डेटा का मूल्यांकन कर रहे हैं. स्पेस एजेंसी के मुताबिक रॉकेट के इंजनों को लिफ्टऑफ़ पर शुरू करने के लिए दो घंटे की तय समय सीमा तक आवश्यक उचित तापमान तक नहीं पहुंचाया जा सका था. वैज्ञानिकों के अनुसार इंजन संख्या तीन में खराबी आने के कारण लांच में समस्या आई है.
शुक्रवार को फिर से होगा प्रयास
नासा ने कहा कि फिलहाल लांच के लिए अभी कोई निर्धारित समय चयनित नहीं हुआ है लेकिन 2 सितंबर को लांच को फिर से किये जाने की संभावना है. अगर 2 सितंबर को भी लांच नहीं हो पता है तो 6 सितंबर के दिन को स्टैंड बाई पर रखा गया है.
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चांद पर लंबे समय बाद एस्ट्रोनॉट भेजेगा नासा
इस राकेट के परिक्षण के बाद नासा 2030 के दशक में चांद पर एक बार फिर से एस्ट्रोनॉट को उतारेगा. नासा ने कहा है कि वह आने वाले समय पहली महिला अंतरिक्ष यात्री को चांद पर उतारेगा। नासा के इस मिशन में यूरोप के दस से अधिक देश शामिल हैं जो राकेट के अलग अलग विषयों पर काम कर रहे हैं. 100 मीटर लंबा यह विशाल रॉकेट अपोलो के सैटर्न वी रॉकेट की तुलना में एसएलएस 15 प्रतिशत अधिक थ्रस्ट पैदा करता है. यह अतिरिक्त जबरदस्त थ्रस्ट वाहन को न केवल पृथ्वी से बहुत दूर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने में मदद करेगा, बल्कि इसके अतिरिक्त, अधिक उपकरण और कार्गो चालक दल लंबी अवधि के लिए पृथ्वी से दूर रह सकेंगे.