तालिबान राज का एक साल, 400 अफगान मीडिया हाउसों में से 160 हुए बंद, 2000 पत्रकार बेरोजगार

काबुल. अफगानिस्तान में तालिबान के शासन के एक साल पूरे होने के बाद वहां का मीडिया जिंदा रहने के लिए संघर्ष कर रहा है. पत्रकारों का कहना है कि इस वक्त मीडिया के लिए कोई कानून नहीं है. तालिबान के राज में अफगानिस्तान में मीडिया पर केवल प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं. तालिबान के सत्ता पर कब्जा करने के तुरंत बाद इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स ने अफगान नेशनल जर्नलिस्ट्स यूनियन के साथ साझेदारी कायम की थी. उसकी एक रिपोर्ट के अनुसार अफगानिस्तान के 400 मीडिया संगठनों में से 160 को बंद करना पड़ा है, जिनमें से लगभग 100 रेडियो स्टेशन हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक इस समय अफगानिस्तान में जो मीडिया हाउस खुले हैं, उनको क्या प्रसारित करना और क्या नहीं, इसके बुनियादी नियम नए शासकों ने तय किए हैं. पत्रकार संघों के सर्वेक्षणों के अनुसार पिछले एक साल में 2,000 से अधिक पत्रकार बेरोजगार हुए हैं, उनमें से 70 प्रतिशत महिलाएं हैं. तालिबान ने महिलाओं के काम करने के लिए कठोर नियम तय किए हैं. इनमें से कई महिलाएं अपने परिवार की एकमात्र कमाने वाली सदस्य थीं. जुलाई 2021 में तीन महिला टेलीविजन पत्रकारों पर हमला करके उनकी हत्या कर दी गई. जिसके बाद अगस्त में तालिबान के सत्ता में आने पर महिलाओं को सामूहिक रूप से नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा.

पिछले एक साल में अफगानिस्तान में 120 पत्रकारों को हिरासत में लिया गया है, जिनमें से 48 अकेले काबुल में हिरासत में लिए गए हैं. ज्यादातर समाचार पत्र अब छपते नहीं हैं और लगभग सभी ऑनलाइन हो गए हैं. एक पत्रकार ने कहा कि अफगानों के पास खुद की जानकारी तक पहुंच नहीं रह गई है. अब हम ज्यादातर पश्चिमी मीडिया के माध्यम से अपनी खबरों को हासिल कर रहे हैं. नेशनल मीडिया सेल्फ सेंसरशिप कर रहा है और तालिबान हर चीज की निगरानी कर रहा है. सैकड़ों पत्रकार किसी और देश का वीजा पाने की उम्मीद में पड़ोसी देश पाकिस्तान भाग गए हैं, क्योंकि काबुल में अधिकांश दूतावास अभी भी बंद हैं.

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