हमीरपुर में ‘बाढ़ ने तोड़ा 40 सालों का रिकॉर्ड’, नेशनल हाईवे हुआ पानी-पानी, देखें हालात

हमीरपुर:  उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में बीते ’40 सालों का रिकॉर्ड तोड़ते’ हुए बाढ़ की विभीषिका ने भारी तबाही मचाई हुई है. यहां बाढ़ तो हर साल आती है, लेकिन बीते 40 सालों के दौरान जिस-जिस इलाके में पानी नहीं घुसा था आज वहां पानी भर गया है. यमुना ने इतना विकराल रूप लिया है कि तटबंध के ऊपर से ओवरफ्लो हो गया है और पानी भीतर ही भीतर बस्तियों को जलमग्न करता हुआ बेतवा में जा रहा है. वहीं, बेकाबू हुआ पानी नेशनल हाइवे के ऊपर से गुजर रहा है, जिसके साथ ही हमीरपुर में हेवी वाहनों का प्रवेश निषेध कर दिया गया है. प्रशासन ने मुनादी कराते हुए लोगों से ऊंचे इलाकों में जाने की अपील की है.

देखिए कैसे बाढ़ का पानी शहर के निचले इलाकों को अपनी चपेट में लेकर तबाही मचा रहा है. घरों में पानी घुसने से परेशान ग्रामीण अपनी घरेलू सामान और पालतू जानवरों को लेकर सुरक्षित स्थान की ओर जा रहे हैं, तो कानपुर से सागर जाने वाला नेशनल हाइवे 34 कई जगह पानी में डूब गया है और छोटे वाहन पानी से होकर गुजर रहे हैं.

बाढ़ के पानी से हजारों घर प्रभावित हुए हैं, जिससे लोग घरों को ऊपरी मंजिलों में रहने और खाना बनाने को मजबूर हैं. लोगों का कहना है कि सन 1983 के बाद यानी 40 सालों बाद इतनी भयानक बाढ़ आई है.

हमीरपुर में यमुना खतरे के निशान से चार मीटर और बेतवा तीन मीटर ऊपर चल रही है. दोनों नदियों का जलस्तर 107 मीटर पर चल रहा हैं, जिन्होंने समुंदर का रूप लिया हुआ है. मुख्यालय से सटे दर्जन भर गावों और डेरों में पानी भर गया है. लोग अपना घर द्वार छोड़ कर सड़कों पर हैं. जिसकी वजह से हाईवे पर मेले जैसा नजारा देखने को मिल रहा है. सड़कों के किनारे जगह-जगह जानवर बंधे हैं, तो वहीं जगह-जगह पन्नी के तम्बू भी दिखाई दे रहे हैं.

हालांकि, प्रशासन ने शहर में तीन जगह बाढ़ राहत शिविर भी बनाए हुए हैं. इसके बाद भी लोग सड़कों पर हैं. बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोगों का कहना है इससे पहले 1983 में ऐसी बाढ़ आई थी, जिसका रिकॉर्ड इस बार टूट रहा है.

वहीं, कमिशनर और डीआईजे ने बाढ़ प्रभावित गावों का एनडीआरएफ की टीम के साथ जायजा लिया है और कहा है कि प्रशासन हर हालात में उनके साथ है. सूचना दिए जाने पर हर तरह की राहत फौरन पहुंचाई जाएगी.

कमिशनर और डीआईजी ने पत्रकारों से बात करते हुए बताया की दर्जन भर गावों से और डेरों से बहुतायत में लोगों को राहत शिविरों में पहुंचाया जा चुका है. कुछ लोग अपने घरों की रखवाली के लिए रुके हैं,.इस दौरान अगर कोई परेशानी आती है तो उनको भी निकाल लिया जाएगा.

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