आयुर्वेद चिकित्‍सा में चिकित्‍सीय वमन के उपकरण का अविष्‍कार,जाने क्या है ख़ास ?

दिल्लीः भारत में आयुर्वेद चिकित्‍सा के लिए लगातार टैक्‍नोलॉजी और नए नए प्रयोगों के उपयोग की कोशिश कर रहे आयुष के खाते में एक और उपलब्धि शामिल हो गई है. देश में पहली बार आयुर्वेद के पंचकर्म में शामिल चिकित्सीय या वमन (एमिसिस) के लिए एक उन्‍नत स्वचालित प्रणाली या ऑटोमेटिक उपकरण तैयार किया गया है जो इस चिकित्सा को बेहद सरल और सुविधाजनक बना देगा. सबसे खास बात है कि इस मशीन को भारत सरकार ने पेटेंट भी प्रदान कर दिया है.

केंद्र सरकार के पेटेंट नियंत्रक की ओर से भारतीय चिकित्सा प्रणाली के लिए राष्ट्रीय आयोग (एनसीआईएसएम) में बोर्ड ऑफ आयुर्वेद के अध्यक्ष डॉ. बी. श्रीनिवास प्रसाद और आविष्कारक की उनकी टीम को इस उपकरण को बनाने के लिए पेटेंट दिया गया है. लिहाजा अब यह ऑटोमेटिक मशीन आयुर्वेद बिरादरी को टैक्‍नोलॉजी के उपयोग के साथ आयुर्वेद को पढ़ाने और अभ्यास करने में मदद करेगी. इस आविष्कार के व्यावसायीकरण पर भी ध्यान दिया जा रहा है, ताकि इसे देश के सभी अस्पतालों में इलाज के लिए इस्तेमाल किया जा सके.

बता दें कि आयुर्वेद में पंचकर्म प्रमुख उपचार पद्धति है. पंचकर्म को रोकथाम, प्रबंधन, इलाज के साथ-साथ कायाकल्प उद्देश्य के लिए किया जाता है. इसमें वमन (चिकित्सीय उल्‍टी), विरेचना (चिकित्सीय शुद्धिकरण), बस्ती (चिकित्सीय एनीमा), नास्या (नाक के रास्‍ते चिकित्‍सा और रक्तमोक्षना (रक्तस्राव चिकित्सा) पंचकर्म के तहत पांच प्रक्रियाएं आती हैं.

वमन यानी उल्‍टी, एक चिकित्सीय प्रक्रिया है जो मौखिक मार्ग से अशुद्धियों या दोषों को बाहर निकालती है. रोगी और पंचकर्म विशेषज्ञ सलाहकार दोनों के लिए इसे उपयोग में लाने की प्रक्रिया कठिन है. इसके अलावा उल्टी को स्वच्छता से संभालना एक बड़ी चुनौती है. अब तक इस प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए कोई भी तकनीक विकसित नहीं हुई थी लेकिन अब इस उपकरण के माध्‍यम से इसके दोनों उद्धेश्‍यों को पूरा किया जा सकेगा.

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