यूक्रेन पर हमलें के बाद दूसरी बार विदेश यात्रा पर आये पुतिन ने सीरिया में 11 सालों से चल रहे युद्ध को ख़त्म करने की प्रतिबद्धता दोहराई 

दिल्लीः

ईरान की राजधानी तेहरान में चल रही तीन देशों की समिट में ईरान की चेतावनी के बावजूद तुर्की ने सीरिया में मौजूद कुर्द लड़ाकों के खिलाफ सैन्य करवाई की अपनी प्रतिबद्धताओं को दोहराया है.

यह समिट अस्ताना पीस प्रोसेस का एक हिस्सा है जिसमें ईरान, तुर्की, और रूस सीरिया में चल रहे 11 वर्ष लंबे युद्ध को रोकने के लिए जरुरी कदम उठाने का प्रयास कर रहे हैं.

तीनों देश इस युद्ध में किसी न किसी रूप से शामिल है. एक ओर जहां रूस और ईरान सीरिया की सरकार के समर्थन में है, तो वहीं दूसरी ओर तुर्की विद्रोहियों के साथ खड़ा है.

साझा बयान में तीनों नेताओं ने कहा कि वह सीरिया सरकार के तेल कुंओं पर कब्जे और अवैध स्व-शासन के सभी प्रयासों को ख़ारिज करते हैं. तीनों देश सीरिया में शांति बहाल करने के लिए जरुरी कदम उठाएंगे जिससे मिडिल ईस्ट में एक बार फिर बिना भय के लोग अपना जीवन व्यतीत करें.

ईरान के विरोध के बावजूद तुर्की ने एक बार फिर कुर्द पर सैन्य कार्यवाई की बात कही है. ईरान ने एर्दोगन के इस बयान पर साफ़ किया है कि ऐसा कोई कदम शांति बहाल करने के प्रयासों को चोट पहुंचा सकता है. ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसीक ने कहा कि किसी भी समस्या का हल सीरिया, रूस, तुर्की और ईरान को बातचीत से ही निकालना होगा.

दोनों देश अमेरिका द्वारा लगाए गए कड़े प्रतिबंधों से परेशान हैं. ऐसे में पुतिन के ईरान पहुंचे से पहले ही राष्ट्रीय ईरानी तेल कंपनी और रूस के गज़प्रोम ने “लगभग 40 बिलियन डॉलर” का एक समझौता किया है. आर्थिक समझौतों से दोनों देश एक दूसरे की अर्थव्यवस्था को संभालना चाह रहे हैं.

ईरान की सरकारी वेबसाइट के मुताबिक देश के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनी ने दोनों देशी के मध्य मजबूत “दीर्घकालिक सहयोग” की बात कही है. वेबसाइट में जोर देते हुए कहा कि अमेरिका की ओर से लगे प्रतिबंधों में दोनों देश एक दूसरे की सहायता कर सकते हैं.

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