श्रीलंका : नहीं कम हो रहा जनता का हंगामा ,विक्रमसिंघे ने लगाई इमरजेंसी

दिल्लीः

आर्थिक और राजनीतिक संकट से घिरे श्रीलंका में हालात तेजी से खराब हो रहे हैं. गोटबया राजपक्षे के इस्तीफे के बाद भी लोगों का आक्रोश कम नहीं हो रहा है. वे हिंसक प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं. ऐसे में कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने सोमवार को देश में स्टेट इमरजेंसी का ऐलान कर दिया है.

इससे पहले 13 जुलाई को तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के खिलाफ भारी बवाल व जनाक्रोश भड़कने पर श्रीलंका में आपातकाल लगाया गया था. राजपक्षे के देश से भागने के बाद विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था. इसके बाद आपातकाल हटा दिया गया था, लेकिन अब एक सप्ताह में दूसरी बार आपातकाल लगाना पड़ा है.

रिपोर्ट के मुताबिक, गोटबया राजपक्षे के देश छोड़कर भागने से आक्रोशित जनता अब नई मांग को लेकर प्रदर्शन कर रही है. प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति पद को खत्म करके व्यवस्था में बदलाव लाने तक संघर्ष जारी रखने की बात कर रहे हैं. पिछले दिनों प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति भवन में घुस आए थे. वहीं, संसद भवन और पीएम हाउस का घेराव किया था. जबकि रानिल विक्रमसिंघे का निजी घर प्रदर्शकारियों ने जला दिया था.

श्रीलंका में जनआंदोलन का रविवार को 100वां दिन है, जिसके कारण गोटबाया राजपक्षे को राष्ट्रपति पद से हटना पड़ा. सरकार विरोधी प्रदर्शन नौ अप्रैल को राष्ट्रपति कार्यालय के पास शुरू हुआ था और बिना किसी रुकावट के जारी है. इससे पहले सरकार ने प्रदर्शनकारियों से अनुरोध किया था कि गोटबाया राजपक्षे ने इस्तीफा दे दिया है. प्रदर्शनकारियों की मांग पूरी हो चुकी है, ऐसे में उन्हें घरों को लौट जाना चाहिए.

इसका जवाब देते हुए श्रीलंकाई आंदोलन के एक प्रमुख कार्यकर्ता, फादर जीवंत पीरिस ने कहा कि हम अपनी लड़ाई तब तक जारी रखेंगे जब तक कि हम व्यवस्था के पूर्ण परिवर्तन के अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर लेते. पीरिस ने कहा कि यह एक स्वतंत्रता संग्राम है. हम जनशक्ति के माध्यम से एक सत्तारूढ़ राष्ट्रपति को घर भेजने में कामयाब रहे.

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