द्रौपदी मुर्मू राजग, तो यशवंत सिन्हा विपक्ष के उम्मीदवार
दिल्लीः
इस बार का राष्ट्रपति चुनाव 18 जुलाई को है, जबकि मतगणना 21 जुलाई को होगी. आइए 8 बिंदु में राष्ट्रपति चुनाव की बारीकियों को समझते हैं…
1. सभी राज्यों के विधायक अपने राज्यों की राजधानियों में वोट डालेंगे, वहीं संसद के दोनों सदनों के सांसद सदन में वोटिंग करेंगे.
2. राज्यों मे डाले गए वोट और सभी मतपेटियों को फ्लाइट से दिल्ली लाया जाएगा. इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की फ्लाइट में बैलेट बॉक्स को यात्रियों के रूप में बुक किया जाएगा, क्योंकि सुरक्षा कारणों से उन्हें बैगेज एरिया में नहीं रखा जाता है.
3. सांसद हरी इंक वाली कलम से और विधायक गुलाबी इंक वाली कलम से अपनी वरीयता दर्ज करेंगे. यह पेन उन्हें चुनाव आयोग की ओर से उपलब्ध कराया जाएगा. इसके अलावा अन्य किसी पेन से अपना मत दर्ज कराने पर उसे अमान्य कर दिया जाएगा.
4. वोटिंग के लिए हर बूथ पर दो ट्रे होंगी. एक राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के नाम की और दूसरी विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के नाम की.
5 . सबसे पहले सभी मतपत्रों का सत्यापन चुनाव अधिकारी यानी राज्यसभा के महासचिव द्वारा किया जाएगा. मतपत्रों को राज्यवार लिया जाएगा और प्रत्येक उम्मीदवार की ट्रे में आवंटित किया जाएगा, जिसका नाम पहली वरीयता के रूप में दिखाई देता है. उदाहरण के लिए, यदि उत्तर प्रदेश का कोई विधायक, द्रौपदी मुर्मू को अपनी पहली वरीयता के रूप में चिह्नित करता है, तो विधायक का मतपत्र मुर्मू की ट्रे में जाएगा.
6. इसी प्रकार संसद सदस्यों के मतपत्रों का वितरण किया जाता है. उदाहरण के लिए, यशवंत सिन्हा को अपनी पहली वरीयता के रूप में चिह्नित करने वाले सांसदों के सभी मतपत्र सिन्हा की ट्रे में जाएंगे.
7. एक बार प्रक्रिया पूरा हो जाने के बाद, वोट मूल्य की गिनती शुरू होगी. जहां एक सांसद के वोट का मूल्य 700 तय होता है, वहीं विधायकों के वोट का मूल्य अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होता है.
8. राष्ट्रपति चुनाव का विजेता वह व्यक्ति नहीं होता है जिसे सबसे अधिक मत प्राप्त होते हैं, बल्कि वह व्यक्ति होता है जिसे एक निश्चित कोटे से अधिक मत प्राप्त होते हैं. प्रत्येक उम्मीदवार के लिए डाले गए मतों को जोड़कर, योग को 2 से विभाजित करके और भागफल में ‘1’ जोड़कर कोटा तय किया जाता है. जो उम्मीदवार कोटे से अधिक वोट प्राप्त करेगा, वह विजेता होगा.