उत्तराखंड क्रिकेट बोर्ड के पदाधिकारियों पर गंभीर आरोप लगे,प्रवक्ता से अलग-अलग पूछताछ

दिल्लीः उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन पर लगे भ्रष्टाचार के संगीन आरोपों के सिलसिले में पुलिस ने पदाधिकारियों से पूछताछ शुरू कर दी. सीएयू के सचिव महिम वर्मा, टीम के हेड कोच मनीष झा और बोर्ड के प्रवक्ता संजय गुसाईं का नाम एफआईआर में आने पर पुलिस ने सवाल ​जवाब किए. एक पूर्व अंडर 19 क्रिकेटर के पिता ने टीम में सिलेक्शन के लिए पैसे मांगने और जान से मारने की धमकी देने जैसे आरोप एसोसिएशन के पदाधिकारियों पर लगाए थे, उसी मामले में फरार चल रहे पदाधिकारियों को आखिर पुलिस कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है.

दून के एसएसपी जनमेजय खंंडूरी के हवाले से खबरों में कहा गया है ‘पिछले तीन दिनों में वर्मा, ण और गुसाईं को अलग अलग बुलाकर बातचीत की गई. हमने उनके बयान दर्ज किए हैं और फिर ज़रूरत पड़ी तो उन्हें दोबारा तलब किया जाएगा.’ असल में एफआईआर दर्ज होने के बाद इन तमाम पदाधिकारियों को नोटिस भेजे गए थे, लेकिन ये सभी पुलिस कार्रवाई से बचने के लिए अपने ठिकानों से गायब थे और इनकी गिरफ्तारी तक की नौबत आ गई थी.

उत्तराखंड की राजधानी के वसंत विहार पुलिस थाने में वीरेंद्र सेठी ने मुकदमा दर्ज करवाते हुए आरोप लगाए थे कि उनके बेटे को झा, टीम मैनेजर नवनीत मिश्रा और वीडियो एनालिस्ट पीयूष रघुवंशी ने विजय हज़ारे टूर्नामेंट के दौरान पिछले साल बुरी तरह धमकाया था और दस लाख की रकम की डिमांड भी की गई थी. इसके अलावा, सीएयू पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप भी लगे थे और खिलाड़ियों ने दैनिक भत्ते का भुगतना न के बराबर किए जाने व भोजन तक न दिए जाने की शिकायतें भी की थीं.

उत्तराखंड क्रिकेट टीम से जुड़े रॉबिन बिष्ट ने इस बारे में कहा था कि मुंबई के खिलाफ रणजी ट्रॉफी के क्वार्टर फाइनल मैच के दौरान खिलाड़ियों से टीम मैनेजर ने कहा था, ‘स्विगी या ज़मैटो से कुछ मंगवा लो. एक दिन खाना नहीं खाओगे तो मर नहीं जाओगे.’ यही नहीं, अगले दिन दिल्ली एयरपोर्ट पर खिलाड़ियों ने बस के बारे में पूछा तो मैनेजर ने कहा, ‘हमारा काम तुम लोगों को घर छोड़ना नहीं है, अपनी बस या कैब खुद बुक कर लो.’

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