यूपी: 6 व‍िधायकों वाली पार्टी क्यों फिर है चर्चा में ?

दिल्लीः

उत्‍तर प्रदेश में सिर्फ 6 विधायकों वाली पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर की जितनी चर्चा होती रहती है उतनी तो बड़ी-बड़ी पार्टियों की भी नहीं हो रही है. यूपी की राजनीति को ओपी राजभर ने चक्करघिन्नी बना रखा है. इसका कारण ये है कि वह सबके साथ भी हैं और सबके खिलाफ भी. पहले भाजपा के साथ, फिर उससे दूरी और सपा के साथ गठबंधन और फिर से सपा से दूरी और भाजपा से नजदीकी. उनके इसी व्यवहार के चलते सूबे में ये चर्चा चलती रहती है कि क्या ओपी राजभर पलटूराम हैं? लोग कहते मिल जाएंगे कि इनका क्या ऐतबार?

आइये जानते हैं कि ओपी राजभर ने कब-कब किस-किस पार्टी के साथ कैसा कैसा गठबंधन किया है. शुरू-शुरू में वह कांशीराम के साथ राजनीति किया करते थे. मायावती काल में बसपा छोड़कर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी बना ली. चुनाव भी लड़ते रहे, लेकिन सफलता नहीं मिली. वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने ओपी राजभर को साथ लिया और वह पहली बार विधायक बने. योगी सरकार में उन्हें पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं दिव्यांग कल्याण और जन विकास मंत्री बनाया गया. कुछ महीनों बाद भाजपा से उनका मन भर गया और उन्होंने गठबंधन तोड़ लिया. 2022 के विधानसभा चुनाव वह अखिलेश यादव के साथ लड़े. खुद भी जीते और उनके और 5 विधायक भी जीते, लेकिन लगता है अब उन्हें अखिलेश यादव का साथ पसंद नहीं आ रहा है.

अखिलेश यादव के खिलाफ वे सार्वजनिक रूप से बयानबाजी कर रहे हैं. अब फिर से उनकी भाजपा से नजदीकी की खबरें आ रही हैं. हालांकि राजभर ने सपा के साथ गठबंधन नहीं तोड़ा है, लेकिन ऐसा कहा जाता है कि एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीद्वार द्रौपदी मुर्मु जब लखनऊ आयी थीं तो उनकी शान में दिए गए डिनर में राजभर पहुंचे थे. यानी पहले बसपा, उसके बाद भाजपा, फिर सपा और अब एक बार भाजपा से नजदीकी. इन्हीं वजहों से उन्हें पलटूराम का नाम दिया जाने लगा है. लेकिन क्या ऐसी राजनीति सिर्फ राजभर कर रहे हैं ? जी नहीं, किसी भी पार्टी का दामन ऐसी राजनीति से खाली नहीं है

सबसे पहले बात सपा की. 1993 में मुलायम सिंह बसपा से गठबंधन कर चुके हैं. इसी दौर में नारा लगा था कि मिले मुलायम कांशीराम, हवा में उड़ गये जय श्रीराम. 2017 के चुनाव में अखिलेश यादव कांग्रेस से गठबंधन कर चुके हैं. तब नारा दिया गया था यूपी के दो लड़के. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले सपा का बसपा से गठबंधन था. पहली बार मायावती और मुलायम सिंह एक साथ एक मंच पर नजर आए थे और तो और मुलायम सिंह भाजपा के दिग्गज पूर्व सीएम कल्याण सिंह से भी गठबंधन कर चुके हैं. दोनों आगरा में एक मंच पर नजर आये थे. ये अलग बात है कि तब कल्याण सिंह भाजपा में नहीं थे. उन्होंने अपनी अलग जल क्रांति पार्टी बनायी थी. यानी ऐसी कोई पार्टी नहीं रही जिससे सपा ने गठबंधन न किया हो.

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