रायपुर के एसीआई में लेजर तकनीक से हार्ट के मरीज का हुआ इलाज

दिल्लीः

छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पताल में पहली बार दिल के मरीज का लेजर तकनीक से इलाज किया गया है. चिकित्सकों का दावा है कि देश में भी संभवत: यह पहला ही मामला है, जब इस तकनीक का उपयोग एंजियोप्लास्टी के लिए किया गया है. इस तकनीक के तहत मरीज को हार्ट अटैक की स्थिति में लेजर द्वारा हार्ट की नली में खून के थक्के को भाप बनाने की प्रक्रिया की गई. ऑपरेशन सफल रहा. इससे मरीज की जान भी बच गई.

दरअसल बीते मंगलवार की सुबह एक 30 वर्षीय युवक एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (ACI) मेडिकल कॉलेज रायपुर में हार्ट अटैक की स्थिति में पहुंचा. चिकित्सकों द्वारा उसकी तुरंत एंजियोग्राफी की गई. रिपोर्ट में पता चला कि बहुत सारा खून का थक्का उसके दिल की एक प्रमुख नली को पूरी तरह से बंद किया हुआ है. IVUS यानी हृदय की नस के अंदर की सोनोग्राफी से समझ आया कि यह रुकावट सिर्फ खून के थक्के के कारण है और इसमें नस का कोई ब्लाकेज नहीं है.

एसीआई, रायपुर के डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने बताया कि युवक की कम उम्र देखते हुए उसे खून के थक्के को लेजर द्वारा भाप बनाने का निर्णय लिया गया. यह प्रक्रिया मात्र आधे घंटे के समय में पूरी की गई और उस युवक की बंद नली पूरी तरह खुल गई. नली में रक्त का पूरा संचार होने लगा. इसके साथ ही हार्ट अटैक के जो ईसीजी में आए परिवर्तन थे, वह भी ठीक हो गए जो इस बात के साक्ष्य हैं कि यह प्रक्रिया सफल हुई और युवक को के हृदय को और जीवन को नुकसान होने से बचा लिया गया. तकनीक का उपयोग सफल रहा. इस इमरजेंसी लेजर एनजीओ प्लास्टी में प्रोफेसर डॉ. स्मित श्रीवास्तव के साथ डॉ. जोगेश, डॉ. आनंद, डॉ. गोपेश, डॉक्टर प्रतीक एवं नर्सेज बुद्धेश्वर और पूर्णिमा शामिल थीं.

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