अमेरिका ने अफगानिस्तान से छीना गैर-नाटो सहयोगी का दर्जा

दिल्लीः अफगानिस्तान से सैन्य वापसी और वहां तालिबान शासन के बाद अमेरिका ने पूरी तरह से इस देश से पीछा छुटाने का निर्णय लिया है. अब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अफगानिस्तान के एक ‘प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी’ का दर्जा रद्द करने की घोषणा की.

राष्ट्रपति बाइडन ने पत्र में कहा, “1961 के विदेशी सहायता अधिनियम की धारा 517 के अनुसार, संशोधित (22 यूएससी 2321k) के अनुसार, मैं एक प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी के रूप में अफगानिस्तान के पदनाम को रद्द करने की घोषणा करता हूं. दरअसल, जुलाई 2012 में संयुक्त राज्य अमेरिका ने अफगानिस्तान को एक प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी के रूप में नामित किया था.

अमेरिका ने पिछले साल अफगानिस्तान से अपनी सेना वापस बुलाने की घोषणा कर दी थी. इसी के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान पर हमले शुरू कर दिए. 15 अगस्त, 2021 को तालिबान लड़ाके अफगानिस्तान में घुस गए और सितंबर में तालिबान ने अफगानिस्तान में पूर्ण जीत की घोषणा कर दी.

क्या है NATO?
नाटो विश्व का सबसे बड़ा सैन्य संगठन है जिसके अंतर्गत एक देश दूसरे देश में अपनी सेना भेजता है और उन्हें अंतरराष्ट्रीय ट्रेनिंग भी दी जाती है. साथ ही साथ यह आदेश भी दिया जाता है कि वह हर स्थिति को सख्ती से निपटाएं. नाटो की शुरुआत दूसरे विश्व युद्ध के बाद 4 अप्रैल 1949 में की गई.

हिंदी भाषा में नाटो को उत्तर अटलांटिक संधि संगठन के नाम से जाना जाता है. नाटो का दूसरा नाम अटलांटिक अलायन्स भी है. मुख्य रूप से नाटो का उद्देश्य विश्व में शांति को कायम रखना है. आज के समय में नाटो के 30 सदस्य हैं. नाटो का मुखयलय यानी हेड क्वार्टर बेल्जियम की राजधानी ब्रूसेल्स में स्थित है।.

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