एकनाथ शिंदे ने 55 में से 40 शिवसेना विधायकों के साथ-साथ 12 निर्दलीय विधायकों का समर्थन होने का दावा किया

दिल्लीः

महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है. शिवसैनिकों को हिंसा फैलाने से रोकने के लिए मुंबई पुलिस को हाई अलर्ट पर रखा गया है, जबकि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बागी विधायक गुवाहाटी में डेरा डाले हुए हैं और अपने अगले कदम की योजना बना रहे हैं. दोनों पक्षों के बीच व्यस्त बातचीत के दरम्यान महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत ने न्यूज़18 से शिवसेना के लिए आगे के रास्ते, कांग्रेस के ‘मूक खिलाड़ी’ और मौजूदा संकट में भाजपा की भूमिका के बारे में बात की.

सवाल : आप इस राजनीतिक संकट को कैसे देखते हैं और इसे कब तक सुलझाया जा सकता है?
जवाब : शिवसेना कुछ बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए स्पीकर के पास गई है और निर्दलीय विधायकों ने डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया है. इसमें कई तकनीकी बिंदू शामिल हैं. इन प्रस्तावों को तभी लिया जा सकता है जब विधानसभा का सत्र चल रहा हो. तभी दलों की ताकत दिखाई देगी. हर राजनीतिक दल व्हिप लेकर आता है. मेरा मानना ​​है कि यह मामला अब उलझ गया है. 18 जुलाई को हमारा विधानसभा सत्र है और राष्ट्रपति का चुनाव भी है. मुझे नहीं लगता कि शिंदे सेना को राहत देने वाला कोई फैसला लिया जा सकता है.

सवाल : क्या इसका मतलब यह है कि बागी विधायकों को 18 जुलाई को राज्य में मौजूद रहने की जरूरत है?
जवाब : सब कुछ कानूनी नजरों से देखा जाना चाहिए. पूर्व में इस तरह से लिए गए निर्णयों की जांच की जाएगी और कई तकनीकी पहलुओं को लेकर लड़ाई होगी. यह तय किया जाएगा कि डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव कब लाया जाएगा. सब कुछ बहुत तकनीकी है.

सवाल : शिवसेना में संकट के बाद से कांग्रेस ने चुप्पी क्यों साध रखी है? प्रतिक्रिया देने में देरी क्यों?
जवाब : हमारे नेता राहुल गांधी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुलाया और हमारी पार्टी ‘आंदोलन’ में व्यस्त थी. अब जब हमारे पास समय है, तो हमने महाराष्ट्र में एक आंदोलन शुरू कर दिया है. कांग्रेस चुप नहीं है और हम कर्नाटक में घटी घटनाओं का दोहराव देख सकते हैं. हमें उस वक्त को भी याद करना चाहिए जब मध्यप्रदेश सरकार गिराई गई थी. हालांकि, महाराष्ट्र में बीजेपी इसमें शामिल नहीं हो रही है. केंद्र के निर्देश पर गुजरात और असम बीजेपी हरसंभव मदद कर रही है. महाराष्ट्र में बीजेपी बैक-एंड ऑफिस की तरह काम कर रही है. असम में, हमारे राज्य प्रमुख ने मुख्यमंत्री से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने का अनुरोध किया है और मांग की है कि एकनाथ शिंदे वापस आ जाएं. बीजेपी खुलेआम बागियों के समर्थन में उतर आई है. यह भाजपा द्वारा लोकतंत्र की सिलसिलेवार हत्या है.

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