दिल्ली हाईकोर्ट: सौ पेड़ लगाने की शर्त पर अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के मुकदमे को किया रद्द

दिल्लीः पेड़ लगाने की शर्त पर उच्च न्यायालय ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम सहित विभिन्न आरोपों में दर्ज मुकदमा रद्द कर दिया है। न्यायालय ने कहा कि आरोपियों को न सिर्फ 100 पेड़ लगाने होंगे, बल्कि पांच वर्ष तक इसकी देखरेख भी करनी होगी। जस्टिस जसमीत सिंह ने आरोपियों और शिकायतकर्ता के बीच हुए समझौते के आधार पर मार्च, 2022 में दर्ज मुकदमा रद्द कर दिया। 

आरोपियों की ओर से उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर इसकी मांग की गई थी। आरोपियों की ओर से अधिवक्ता मुस्तफा ने न्यायालय को बताया कि उनके मुवक्किल और शिकायतकर्ता के बीच समझौता हो गया है। ऐसे में पुलिस की ओर से दर्ज मुकदमा रद्द कर दिया जाए। अधिवक्ता ने दोनों पक्षों के बीच विवाद को सुलझाने के लिए हुए करारनामे को भी पेश किया। न्यायालय में मौजूद समझौते की पुष्टि करते हुए कहा कि वह मुकदमा को आगे नहीं बढ़ना चाहती है।

इसके बाद हाल ही में न्यायालय ने ब्रह्मप्रकाश और अन्य आरोपियों को सौ-सौ पेड़ लगाने की शर्त पर दक्षिण-पूर्वी जिला की सनलाइट कॉलोनी थाना में दर्ज मुकदमा रद्द कर दिया। न्यायालय ने आरोपियों को अगले पांच साल तक इन पेड़ों की देखरेख करने की भी जिम्मेदारी दी है। महिला की शिकायत पर पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम के प्रावधानों के अलावा मारपीट-छेड़छाड़ के आरोप में मुकदमा दर्ज किया था।

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