द्रौपदी मुर्मू को जानिए, जिन्हें बीजेपी ने राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार बनाया
दिल्लीः भारत के राष्ट्रपति चुनाव में 29 जून तक नामांकन, 18 जुलाई को मतदान और 21 जुलाई को नतीजा आएगा. सत्ताधारी बीजेपी के अगुआई वाला गठबंधन एनडीए और विपक्ष ने राष्ट्रपति उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है.
पिछली बार के राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी ने बिहार के तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोविंद को अपना उम्मीदवार बनाया था और इस बार झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को प्रत्याशी बनाया है.
द्रौपदी मुर्मू झारखंड की पहली महिला और आदिवासी राज्यपाल थीं. यहां से सेवानिवृति के बाद वे अपने गृह राज्य ओड़िशा के मयूरभंज जिले के रायरंगपुर में रहती हैं. यह उनके पैतृक गांव बैदापोसी का प्रखंड मुख्यालय है. वे झारखंड में सबसे लंबे वक़्त (छह साल से कुछ अधिक वक़्त) तक राज्यपाल रहीं.
द्रौपदी मुर्मू भारत की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति बन सकती हैं. वह एनडीए की उम्मीदवार हैं और एनडीए मतों के मामले में जीत के क़रीब है.
विपक्षी पार्टियों ने यशवंत सिन्हा को इस पद के लिए चुनाव मैदान में उतारा है. भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) के पूर्व अधिकारी यशवंत सिन्हा झारखंड की हजारीबाग सीट से बीजेपी के लोकसभा सांसद रह चुके हैं और केंद्र सरकार के मंत्री भी. वे लंबे वक्त तक बीजेपी के ही नेता रहे, लेकिन हाल के वर्षो में वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ लगातार मुखर होते चले गए और अंततः बीजेपी से अलग होना पड़ा.
इन दिनों वे ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस से जुड़े थे. उनके बेटे और हजारीबाग के मौजूदा लोकसभा सांसद जयंत सिन्हा अब भी बीजेपी में हैं. जयंत सिन्हा के लिए पसोपेश की स्थिति होगी कि वह मतदान पिता के पक्ष में करें या पार्टी के पक्ष में.
यह पहला मौक़ा है, जब भारत के राष्ट्रपति के चुनाव में दोनों प्रमुख उम्मीदवारों का नाता झारखंड से है. इस कारण यह छोटा-सा राज्य अचानक सुर्खियों में आ गया है.
21 जून की देर शाम बीजेपी के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने जब राष्ट्रपति चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के प्रत्याशी के तौर पर द्रौपदी मुर्मू के नाम की घोषणा की, तो वह नई दिल्ली से करीब 1600 किलोमीटर दूर रायरंगपुर (ओड़िशा) के अपने घर में थीं.
इससे ठीक एक दिन पहले 20 जून को उन्होंने अपना 64 वां जन्मदिन बड़ी सादगी से मनाया था. तब उन्हें यह विश्वास नहीं रहा हो कि महज़ 24 घंटे बाद वे देश के सबसे बड़े पद के लिए सत्ता पक्ष की तरफ़ से उम्मीदवार बनाई जाने वाली हैं. लेकिन, ऐसा हुआ और अब सारे कयासों पर विराम लग चुका है.
अपनी उम्मीदवारी की घोषणा के बाद उन्होंने स्थानीय मीडिया से कहा : “मैं आश्चर्यचकित हूँ और ख़ुश भी क्योंकि मुझे राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाया गया है. मुझे टेलीविजन देखकर इसका पता चला. राष्ट्रपति एक संवैधानिक पद है और मैं अगर इस पद के लिए चुन ली गई, तो राजनीति से अलग देश के लोगों के लिए काम करूंगी. इस पद के लिए जो संवैधानिक प्रावधान और अधिकार हैं, मैं उसके अनुसार काम करना चाहूंगी. इससे अधिक मैं फ़िलहाल और कुछ नहीं कह सकती.”
हालांकि, सियासी गलियारे और मीडिया में उनके नाम की चर्चाएं पहले से चल रही थीं. साल 2017 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में भी उनके नाम की चर्चा जोर-शोर से चली थी, लेकिन अंतिम वक़्त में बीजेपी ने तब बिहार के राज्यपाल रहे रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बना दिया था. वे चुनाव जीते भी और बतौर राष्ट्रपति अगामी 24 जुलाई को उनका कार्यकाल ख़त्म हो रहा है.
रायरंगपुर (ओड़िशा) से रायसीना हिल्स (राष्ट्रपति भवन) पहुँचने की होड़ में शामिल द्रौपदी मुर्मू का शुरुआती जीवन संघर्षों से भरा रहा. उनका जन्म भारत की आज़ादी के क़रीब 11 साल बाद 20 जून 1958 को मयूरभंज जिले के बैदापोसी गाँव में बिरंची नारायण टुडू की पुत्री के रुप में हुआ. वह संथाल आदिवासी हैं और उनके पिता अपनी पंचायत के मुखिया रहे हैं. अगर वह राष्ट्रपति चुनी जाती हैं, तो वे आज़ादी के बाद जन्म लेने वाली पहली राष्ट्रपति होंगी.
उनके व्यक्तिगत जीवन के बारे में कई बातें सार्वजनिक नहीं हैं. उनकी शादी श्याम चरण मुर्मू से हुई थी लेकिन कम उम्र में ही उनका निधन हो गया. उनकी तीन संतानें थीं लेकिन इनमें से दोनों बेटों की मौत भी असमय हो गई.
उनके एक बेटे लक्ष्मण मुर्मू की मौत अक्टूबर 2009 में संदिग्ध परस्थितियों में हो गई थी. तब वह सिर्फ़ 25 साल के थे. तब की मीडिया रिपोर्टों के अनुसार अपनी मौत से एक रात पहले वह भुवनेश्वर में अपने दोस्तों के साथ एक होटल में डिनर के लिए गए थे.
वहाँ से लौटने के बाद उनकी तबीयत ख़राब हो गई. तब वह अपने चाचा के घर में रहते थे. उन्होंने घर लौटकर सोने की इच्छा ज़ाहिर की और उन्हें सोने दिया गया. सुबह बहुत देर उनके तक कमरे का दरवाज़ा नहीं खुला तो घरवाले उन्हें पहले एक निजी अस्पताल और बाद में वहाँ के कैपिटल हॉस्पिटल ले गए, जहाँ डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
उनकी एकमात्र जीवित संतान उनकी बेटी इतिश्री मुर्मू हैं, जो रांची में रहती हैं. उनकी शादी गणेश चंद्र हेम्बरम से हुई है. वह भी रायरंगपुर के रहने वाले हैं और इनकी एक बेटी आद्याश्री हैं. राज्यपाल रहते हुए द्रौपदी मुर्मू ने अपनी बेटी-दामाद और नतिनी के साथ कुछ पारिवारिक कार्यक्रमों में हिस्सा लिया. वे ज़्यादातर मंदिरों में गए, जिससे जुड़ी तस्वीरें तब मीडिया में आईं. इसके अलावा उनके परिवार वालों के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है.