भारत का एक ऐसा बादशाह जो पीता था जहर और खाता था 35 किलो खाना एक दिन में
दिल्लीः आपने इस बात पर गौर किया होगा कि देश के किसी भी कोने में प्राचीन भारत और सांस्कृतिक इतिहास को समेटे मंदिर के पुनर्निमाण का जब भी मौका आया पीएम मोदी की उपस्थिति वहां जरूर दर्ज हुई है। अयोध्या में भव्य राम मंदिर आकार ले रहा है इस बीच माथे पर तिलक लगाए प्रधानमंत्री ने गुजरात की धरती से देशवासियों को बड़ा संदेश दिया। उन्होंने अयोध्या राम मंदिर, काशी, केदारधाम का जिक्र करते हुए कहा कि आज भारत के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गौरव पुन: स्थापित हो रहे हैं। आज नया भारत अपनी आकांक्षाओं के साथ-साथ अपनी प्राचीन पहचान को भी जी रहा है। उन पर गर्व कर रहा है। बता दें कि नरेंद्र मोदी जब गुजरात के सीएम थे तो इस मंदिर में नहीं आए थे। इस मंदिर का शिखर खंडित था। ऐसे में ध्वजा नहीं चढ़ाई जाती। अब मंदिर का पुनर्निमाण हो चुका है।
500 साल बाद पीएम मोदी ने ध्वज फहराया
मंदिर के शिखर को करीब 500 साल पहले सुल्तान महमूद बेगड़ा ने नष्ट कर दिया था। हालांकि, पावागढ़ पहाड़ी पर 11वीं सदी में बने इस मंदिर के शिखर को पुनर्विकास योजना के तहत पुन: स्थापित कर दिया गया है। माना जाता है कि ऋषि विश्वमित्र ने पावागढ़ में देवी कालिका की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की थी। मंदिर के मूल शिखर को सुल्तान महमूद बेगडा ने 15वीं सदी में चम्पानेर पर किए गए हमले के दौरान ध्वस्त कर दिया था। शिखर को ध्वस्त करने के कुछ समय बाद ही मंदिर के ऊपर पीर सदनशाह की दरगाह बना दी गई थी।’लोक कथा है कि सदनशाह हिंदू थे और उनका मूल नाम सहदेव जोशी था जिन्होंने उन्होंने बेगड़ा को खुश करने के लिए इस्लाम स्वीकार कर लिया था। यह भी माना जाता है कि सदनशाह ने मंदिर को पूरी तरह से ध्वस्त होने से बचाने में अहम भूमिका निभाई थी। प्रधानमंत्री ने इसके शीर्ष पर पताका फहराई। उन्होंने इस मौके पर कहा, ‘‘मंदिर पर फहराई गई पताका न केवल हमारी आध्यात्मिकता का प्रतीक है, बल्कि य
1296 में सबसे पहले अलाउद्दीन खिलजी ने ही गुजरात रियासत को जीतकर दिल्ली सल्तनत में मिला लिया था। फिर 90-95 साल तक लगातार गुजरात की पूरी रियासत दिल्ली सल्तनत के ही अधीन आया करती थी। फिर 1391 में जब दिल्की सल्तनत कमजोर हुई तो गुजरात रियासत यानी जफर खान ने अपन् आजाद होने का ऐलान कर दिया। इस तरह से 1391 में गुजरात नाम की रियासत एक आजाद और ताकतवर रियासत बनकर उभरी थी। जिसे लगभग पौने दो सौ साल के बाद 1572 में मुगल सल्तनक के हुक्मरान यानी जलालुद्दीन अकबर ने जीतकर खत्म कर दिया था। लेकिन इस दौरान ही गुजारात की रियासत में बहुत सारे बादशाहों ने जन्म लिया। इन सभी बादशाहों में से अगर कोई सबसे ज्यादा मशहूर है तो वो सुल्तान महमूद बेगड़ा है। लेकिन सुल्तान महमूद बेगड़ा अपनी बहादुरी की वजह से नहीं बल्कि कुछ अजीब कारणों की वजह से मशहूर हुए कि जिन पर आज के दौर में यकीन करना मुश्किल
एक दिन में 35 किलो खाना
जब खाने की बात आती है तो आपने बहुत से खाने के शौकीन लोगों को देखा होगा, जो एक दिन में अच्छा-खासा यकाना खा लेते हैं। लेकिन अगर आपको पता चले की कोई इंसान एक दिन में 35 किलो तक खाना खा सकता है तो आप भी आश्चर्यचकित हो जाएंगे। 35 किलो भोजन एक दिन में ग्रहण करना किसी भी सामान्य इंसान के लिए असंभव है। लेकिन गुजरात का छठा सुल्तान महमूद बेगड़ा एक दिन में 35 किलो का खाना का लेता था। छोटी उम्र में ही पिता को खोने के बाद गद्दी पर बैठे बादशाह को बड़ी मूंछे रखने का भी शौक था।