गर्म गुरु ग्रहों के निर्माण से वैज्ञानिकों को मिले नए संकेत

दिल्लीः ग्रहों में भारी विविधताएं देखने को मिल सकती है. खुद हमारे सौरमंडल (Solar System) में हर ग्रह में ऐसी खूबियां हैं जो किसी और ग्रह में नहीं हैं. इसी तरह बाह्यग्रह (Exoplanet) यानि हमारे सौरमंडल के बाहर किसी अन्य तारे का चक्कर लगाने वाले ग्रहों में भी बहुत ही अलग अलग तरह के गुण होते हैं जो हमारे सौरमंडल के किसी ग्रह में देखने को नहीं मिलते हैं. इस तरह के ग्रहों के उत्पत्ति और विकास की जानकारी हासिल करना भी मुश्किल काम होता है. ऐसे ही एक तरह के ग्रह होते हैं जिन्हें खगोलविद “गर्म गुरु ग्रह” (Hot Jupiter Planet) कहते हैं. नए अध्ययन शोधकर्ताओं ने उनकी उत्पत्ति संबंधी नई जानकारी हासिल की है.

दो प्रमुख गुण
चाहे हमारा सूर्य हो या फिर कोई दूसरा तारा, किसी भी ग्रह के दो प्रमुख गुण होते हैं जिनके आधार पर उनका वर्गीकरण होता है वह है उनका आकार और उनकी अपने तारे की कक्षा. इस आधार पर ही बाह्यग्रहों का भी कई बार वर्गीकरण हो जाता है जिसमें सबसे ज्यादा नाम सुपर अर्थ और गर्म गुरु ग्रह के ही आते हैं. इस वर्गीकरण का आधार पृथ्वी और गुरु ग्रह से मिलते जुलते गुणों के कारण हुआ है.

क्या होते हैं गर्म गुरु ग्रह
गर्म गुरु ग्रह आकार में तो हमारे सौरमंडल के गुरु ग्रह से थोड़े बड़े होते हैं. लेकिन इनकी अपने तारे से दूरी हमारी पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी से काफी कम होती है यानि ये अपने तारे का काफी करीब से चक्कर लगाते है. इस वजह से  इनका तापमान हजारों डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है जिसके कारण इनका नाम गर्म गुरु ग्रह पड़ा है.

क्या खोजा खगलोविदों ने
नए अध्ययन में खगोलविदों ने बाह्यग्रहों की सापेक्ष उम्र का निर्धारण करने का नया तरीका खोज निकाला है और यह सिद्ध किया है कि इस तरह के ग्रहों का निर्माण बहुत से तरीकों से  हो सकता है.1995 में पहले गर्म गुरु की खोज के बाद से ही खगोलविद यह जानना का प्रयास कर रहे हैं कि आखिर इस तरह के गर्म बाह्यग्रह बनते कैसे हैं और ये अपने चरम कक्षा में कैसे पहुंच जाते हैं या कायम रह पाते हैं.

जान हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के खगोलविदों ने अरबों तारों का अवलोकन करने वाले, यूरोपीय स्पेस एजेंसी ईसा के गाइया अंतरिक्ष यान से नए मापन के  जरिए गर्म गुरु ग्रहों की सापेक्ष उम्र निकालने की विधि पता लगाई है. यह अध्ययन एस्ट्रोनॉमिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ है. अभी तक इस तरह के ग्रहों की निर्माण की व्याख्या नहीं हो सकी थी इसलिए वैज्ञानिकों ने इन गर्म गुरुओं के निर्माण पर कई तरह के विचार प्रस्तुत किए थे.

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