क्वाड VS ब्रिक्स: भारत को लुभाने की कोशिश में बढ़-चढ़कर लगे है चीन और अमेरिका
दिल्लीः रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद दुनिया में भूराजनीतिक स्थिति बड़ी तेजी से बदलती जा रही है। एक तरफ अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देश हैं, वहीं दूसरी ओर रूस और चीन हैं। इस बीच अब दोनों ही गुटों की कोशिश दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत को अपने साथ लाने की है। यही वजह है कि चीन को घेरने के लिए बने क्वाड की जापान में शिखर बैठक के बाद अब ब्रिक्स देश अपनी बैठक करने जा रहे हैं। क्वॉड और ब्रिक्स को एक-दूसरे का विरोधी माना जाता है लेकिन इन दोनों संगठनों में भारत शामिल है। यह भारत की बढ़ती अहमियत है कि दोनों ही संगठन किसी भी तरह से भारत को अपने साथ रखना चाहते हैं
क्वाड और ब्रिक्स
क्वाड देशों की बैठक में अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया ऐसे समय में टोक्यो में मिले जब मोदी सरकार रूस के मुद्दे पर क्वाड के अन्य सदस्य देशों से अलग राय रखती है। इसे क्वाड की बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि क्वाड का विरोधी संगठन ब्रिक्स अपना पूरा जोर कसे हुए है। इसमें भारत, रूस, चीन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। ब्रिक्स पश्चिमी देशों से 5 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बढ़ते महत्व को दर्शाता है। हालांकि ब्रिक्स का आइडिया सबसे पहले ब्रिटेन के मुख्य आर्थिक सलाहकार ने दिया था।
ब्रिक्स की बैठक की ओर अंतरराष्ट्रीय मीडिया अब बहुत कम ध्यान दे रहा है लेकिन इन पांचों देशों की बैठक लगातार होती रहती है। इस समय चीन ब्रिक्स का चेयरमैन है और वह चाहता था कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के दौरे पर आएं। उधर, भारत ने नई दिल्ली की यात्रा पर आए चीनी विदेश मंत्री वांग यी को साफ-साफ बता दिया है कि बिना लद्दाख संकट के सुलझाए यह दौरा मुमकिन नहीं है। वहीं क्वाड देशों के नेता साल 2022 में ही दो बार मिल चुके हैं। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि क्वाड की यह बैठक जियोपॉलिटिक्स के लिहजा से गेमचेंजर साबित हुई है।