छोटी बहनो ने कराई बड़ी बहन की शादी,पढाई छोड़ खोली दूकान,
दिल्लीः कोरोना कई लोगों को कभी न खत्म होने वाला दर्द दे गया। भोपाल में छह बहनों पर यह काल बनकर टूटा। मां थी नहीं, पिता भी कोरोना में चल बसे। दो बेटियों की शादी पिता ने कराई, लेकिन 4 बहनें अनाथ हो गईं। इन बेटियों के सामने घर चलाने की चुनौती थी ही। पिता के इलाज और दुकान के लिए उठाया कर्ज भी चुकाना था। इस चुनौती से निपटने का बीड़ा उठाया चौथे नंबर की बेटी रेशमा ने। उसने तीसरे नंबर की अपनी बड़ी बहन रज्जो (काल्पनिक नाम) की शादी कराई, बल्कि छोटी दो बहनों काे भी संभाला
20 साल की रेशमा ने घर में बंद हुई किराना दुकान को फिर खोला और अपने हाथ में बागडोर ली। बड़ी बहन रज्जो को हिम्मत दी तो दो छोटी बहन आयशा, मुन्नी (दोनों का काल्पनिक नाम) को बेटियों की तरह पालने लगी। उसके पास एक और चुनौती थी कर्ज चुकाने की, जो पिता के इलाज के समय लिया गया था। इन तमाम मुश्किलों के बावजूद उसने बड़ी बहन रज्जो की शादी कराने का फैसला किया जो तब टल गई थी। कुछ पैसे जोड़े और कुछ पहचान वालों से सामान उधार लेकर छोटी बहनों के साथ मिलकर बड़ी बहन रज्जो की शादी कराई।
रेशमा ने बताया कि इस दौरान दूसरे नंबर की बहन के पति ने भाई की तरह मदद की। तीसरे नंबर की बहन जिसकी शादी हो रही थी, उनके परिवारवालों ने भी कोई डिमांड नहीं की। शादी में तामझाम भी नहीं करने को कहा।
रेशमा बताती हैं, पिता ने 2-3 साल पहले दुकान खोलने के लिए उनके नाम पर किसी स्मॉल बैंक से लोन लिया था। पिता के चले जाने के बाद लोन वालों की तरफ से लगातार नोटिस और पैसे की मांग की जाने लगी। अब उनके सामने बैंक के लोन के साथ पिता के इलाज और बहन की शादी का उधार चुकाने की जिम्मेदारी है। इससे बड़ा जिम्मा अपनी दोनों छोटी नाबालिग बहनों को पढ़ाने और उनकी शादी कराने की है। रेशमा का कहना है कि जब तक दोनों बहनें अपने पैर पर खड़ी नहीं हो जातीं, इनकी पढ़ाई पूरी नहीं होती, वो अपने बारे में कुछ नहीं सोच सकतीं। इनके लिए वे अब माता-पिता और बड़े भाई की जिम्मेदारी निभाएंगी।