शिक्षक पद पर दोबारा आवेदन को एनओसी देने का निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव प्रताप सिंह बघेल को पहले से सहायक अध्यापक के पद पर कार्य कर रहे अभ्यर्थियों को दोबारा इसी पद पर आवेदन करने के लिए चयनित सभी अध्यापकों को एनओसी देने के आदेश का पालन सुनिश्चित करने अन्यथा चार जुलाई को अवमानना आरोप तय करने के लिए उपस्थित रहने का निर्देश दिया है।


यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने रोहित कुमार व अन्य की अवमानना याचिका पर अधिवक्ता मान बहादुर सिंह को सुनकर दिया है। एकल पीठ ने याचियों की याचिका स्वीकार करते हुए राज्य सरकार के चार दिसंबर 2020 के शासनादेश के पैरा पांच एक को असंवैधानिक, मनमानापूर्ण और अधिकार क्षेत्र से बाहर करार देते हुए रद्द कर दिया था। इस शासनादेश से राज्य सरकार ने उन अभ्यर्थियों को 69000 सहायक अध्यापक पद के लिए चयनित होने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र देने से मना कर दिया था जो पहले से ही सहायक अध्यापक पद पर कार्यरत थे।


साथ ही सहायक अध्यापक के पद पर कार्य कर रहे अभ्यर्थियों को दोबारा इसी पद पर आवेदन के लिए चयनित सभी अध्यापकों को एनओसी देने के आदेश दिया था। इस आदेश के विरुद्ध राज्य सरकार की अपील खारिज हो गई। इसके बावजूद एकल पीठ के आदेश का अनुपालन न होने पर अवमानना याचिका की गई।

अपील पर सुनवाई के बाद खंडपीठ ने कहा कि पहले से सहायक अध्यापक के पद पर कार्य कर रहे अभ्यर्थियों को दोबारा इसी पद पर आवेदन करने और चयनित होने का अधिकार है। ऐसा करके अभ्यर्थी अपने अंक बढ़ा सकते हैं और अपनी पसंद के जिले में नियुक्ति पा सकते है। उन्हें इस अधिकार का उपयोग करने से रोका नहीं जा सकता है।

एकल पीठ का भी कहना था कि पहले से सहायक अध्यापक के पद पर काम कर रहे अभ्यर्थियों को दोबारा उसी पद के लिए आवेदन करने पर कोई रोक नहीं है। याचियों के अधिक अंक लाने से वे अपने पसंद के जिले में नियुक्ति पा सकेंगे। कोर्ट ने राज्य सरकार के उस तर्क को नहीं माना, जिसमें कहा गया था कि सहायक अध्यापकों के पास अंतर जिला स्थानांतरण का विकल्प मौजूद है। उनके दोबारा उसी पद के लिए आवेदन करने से शिक्षकों के सभी पद भरे जाने की सरकार की मंशा प्रभावित होगी और शिक्षा के अधिकार अधिनियम का उद्देश्य विफल होगा।

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