होलिका दहन आज रात
क्या है होलिका दहन की कथा : होलिका दहन की कथा पर चर्चा करते हुए आचार्य ने बताया कि भगवान विष्णु के परम भक्त प्राद के पिता राक्षसराज हिरणाकश्यप था। जो अपने आप को भगवान मानता था।
गुरुवार की देर रात होनेवाली होलिका दहन की तैयारी को लेकर श्रद्धालु अभी से ही जुटने लगे हैं। शहर के बड़ा बाजार में मारवाड़ी समाज द्वारा बड़े ही आकर्षक तरीके से होलिका दहन किया जाता है।
इस दौरान बड़ी संख्या में महिला एवं पुरुष श्रद्धालु भाग लेते हैं। होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। वहीं होलिका दहन पर नकारात्मक सोच का अंत होता है।
इस साल भाद्रा नक्षत्र होने के कारण होलिका दहन के शुभ मुहूर्त को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इसी कारण इस उत्सव को लेकर विद्वान आचार्य द्वारा अलग-अलग बताया जा रहा है।
इस बाबत आचार्य अंजनी कुमार ठाकुर ने बताया कि होलिका दहन हमेशा फाल्गुन पूर्णिमा को प्रदोष काल में भाद्रा रहित मुहूर्त में किया जाता है। क्योकि भाद्रा को ज्योतिष शास्त्र में अशुभ माना गया है।
होलिका दहन के शुभ मुहूर्त की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि गुरुवार को दोपहर 01:29 बजे पूर्णिमा तिथि प्रारंभ होगी जिसका समापन 18 मार्च को दोपहर 12:47 पर होगा।
उन्होंने बताया कि भाद्रा प्रारंभ 17 मार्च को दोपहर 01:02 बजे से और समापन देर रात 12:57 पर होगा। इसी कारण रात के 12:57 के बाद ही होलिका दहन किया जायेगा।
क्या है होलिका दहन की कथा : होलिका दहन की कथा पर चर्चा करते हुए आचार्य ने बताया कि भगवान विष्णु के परम भक्त प्राद के पिता राक्षसराज हिरणाकश्यप था। जो अपने आप को भगवान मानता था।
प्राद को रास्ते से हटाने के लिए वह उसका वध करना चाहता था। जबकि उसकी बहन को आग से नहीं जलने का वरदान था। प्राद को अपने गोद में रखकर आग की धधकती ज्वाला में वह बैठ गई।
लेकिन प्रभु की कृपा के कारण होलिका जल गई और विष्णु भक्त प्राद बच गया। पूर्णिमा के रात्रि घटित घटना को लेकर उसी समय से होलिका दहन के बाद रंगों का उत्सव होली उसके दूसरे दिन मनायी जाती है।