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यूक्रेन का संकट : देश छोड़ रहे बाहरी लोग, उड़ाने रदद

दिल्ली : यूक्रेन में अमेरिका और रूस के बीच भले ही युद्ध को टालने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन हालात लगातार तनावपूर्ण बने हुए हैं। एक तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का कहना है कि यदि रूस किसी भी तरह का अतिक्रमण यूक्रेन में करता है तो अमेरिका और उसके सहयोगी नाटो हस्तक्षेप करेंगे। दूसरी तरफ रूसी सेनाओं का जमावड़ा लगातार यूक्रेन की सीमा पर बना हुआ है और सैनिक पीछे नहीं हटाए जा रहे हैं। उम्मीद की एक किरण जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज ने दिखाई है, जो सोमवार को यूक्रेन की राजधानी कीव पहुंच रहे हैं। वह तनाव को कम करने का प्रयास करने के लिए दौरे पर होंगे। 

फिर भी ऐसे तमाम प्रयास अब तक नाकाफी ही दिख रहे हैं। दुनिया की कई एयरलाइन कंपनियों ने यूक्रेन के एयरस्पेस का इस्तेमाल करना बंद कर दिया है। इसके अलावा कई देशों ने अपने दूतावासों से गैर-जरूरी स्टाफ को वापस बुलाना शुरू कर दिया है। अमेरिका समेत कई देशों ने अपने नागरिकों से यूक्रेन छोड़कर निकलने की अपील की है। हालांकि इसके बाद भी रूस की ओर से नरमी के संकेत नहीं दिख रहे हैं। उसकी मिलिट्री यूक्रेन की सीमा पर पहले की तरह ही डटी हुई है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने चेतावनी दी कि रूस कभी भी हमला कर सकता है। 

हालांकि इसका रूस की ओर से भी कड़ा जवाब दिया गया है। रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जाखारोवा ने कहा कि अमेरिकी नेता झूठ बोलते थे, झूठ बोल रहे हैं और आगे भी आम नागरिकों पर दुनिया भर में हमलों के लिए झूठ बोलते रहेंगे। वहीं जर्मन चांसलर ओलाफ ने कहा कि यूरोप में शांति को बड़ा खतरा पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि यदि रूस की ओर से हमला किया जाता है तो फिर उस पर कड़े प्रतिबंध लगाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि हमने उन प्रतिबंधों की सूची तैयार कर ली है और किसी भी तरह के हमले की स्थिति में तत्काल ऐसा किया जाएगा। जर्मनी के एक अधिकारी ने कहा कि चांसलर ओलाफ शोल्ज इसलिए जा रहे हैं ताकि यूक्रेन के संकट को समझा जा सके और किसी भी तरह से रूस का पक्ष भी लिया जाए।

इस बीच यूक्रेन संकट का असर भारत पर भी देखने को मिल रहा है। सुबह ही स्टॉक मार्केट में बड़ी गिरावट दिख रही है। बीएसई सेंसेक्स में 1,100 अंकों की गिरावट शुरुआती कारोबार में ही दर्ज की गई है। यही नहीं रुपये और धातुओं में भी गिरावट का दौर जारी है। माना जा रहा है कि यूक्रेन संकट के चलते ही बाजार में बिकवाली का दौर शुरू हुआ है। भारत ही नहीं बल्कि अमेरिका, जापान समेत कई देशों के शेयर बाजारों में इसका असर दिख रहा है।

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