सप्तम कालरात्रि

नवरात्र के सातवें दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप कालरात्रि का पूजन किया जाता है। मां का स्वरूप अत्यंत भयानक है। शरीर का रंग एकदम काला है। बाल बिखरे हुए हैं। गले में चमकने वाली माला है।

मां का स्वरूप देखने में भयानक जरूर है लेकिन यह सदैव शुभ फल देने वाली हैं। इसी कारण इनको ‘शुभंकरी’ नाम से भी जाना जाता है। मां कालरात्रि दुष्टों से अपने भक्तों को बचाती हैं।

ग्रह-बाधाओं को भी दूर करती हैं। भक्त सर्वथा भयमुक्त हो जाता है। मनुष्य को मन से कालरात्रि की उपासना अवश्य करनी चाहिए। यह शुभकारी देवी हैं। भक्त इनकी उपासना इस श्लोक द्वारा करते हैं :-

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।

लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥

वामपादोल्ल सल्लोहलता कण्टकभूषणा।

वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥

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