खंडवा में टिकट को लेकर घमासान बढ़ा विजयवर्गीय के बयान से मचाई हलचल

भोपाल। खंडवा लोकसभा उपचुनाव में भाजपा के टिकट को लेकर घमासान मचा हुआ है। स्वर्गीय नंदू भैया के पुत्र हर्षवर्धन सिंह चौहान और पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस चुनाव प्रचार अभियान में लगे हुए हैं।

इस बीच भाजपा के हाईप्रोफाइल राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने हलचल मचा दी कि वे राज्यसभा के जरिये चुनाव लड़कर संसद जाना पसंद नहीं करेंगे।

उनके इस बयान को खंडवा लोकसभा क्षेत्र की दावेदारी से जोड़कर देखा जा रहा है। विजयवर्गीय के बयान से नके समर्थक जहां उत्साहित हैं, वहीं उनके निकटवर्तियों का कहना है कि विजयवर्गीय ऐसा बयान पहले भी दे चुके हैं।

उनके इस बयान का मतलब यह नहीं है कि उन्होंने खंडवा लोकसभा क्षेत्र के लिए दावा किया है बल्कि राज्यसभा टिकट की दावेदारी के लिए चल रही अटकलों को खारिज करने के लिए उन्होंने एक बार फिर दोहराया है कि वे चुनाव लड़कर संसद में जाना पसंद करेंगे।

कैलाश विजयवर्गीय ऐसा अनेक बार कह चुके हैं। विजयवर्गीय प्रदेश के मैदानी नेता माने जाते हैं। उन्होंने पार्षद का चुनाव एक बार तथा तीन बार विधानसभा क्षेत्रों से छ: बार चुनाव जीता है।

वे चुनावी राजनीति के महारथी माने जाते हैं। यही वजह है कि उन्होंने बार-बार कहा है कि पिछले दरवाजे से संसद में जाना उन्हें पसंद नहीं है।

खंडवा की दावेदारी के संदर्भ में विजयवर्गीय स्पष्ट कर चुके हैं कि वे इंदौर में रहते हैं, इसलिए खंडवा से चुनाव क्यों लड़ेंगे? विजयवर्गीय की बयान देने के पीछे जो मंशा जो भी रही हो लेकिन इससे प्रदेश की राजनीति में हलचल मच गई और खंडवा के तमाम दावेदार चकित रह गए।

कैलाश विजयवर्गीय के बयान ने भले ही हलचल मचा दी हो लेकिन खंडवा लोकसभा क्षेत्र में टिकट की दौड़ में अभी भी नंदू भैया के पुत्र हर्षवर्धन सिंह चौहान ही आगे बने हुए हैं क्योंकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें एक तरह से खुला समर्थन दे दिया है।

खंडवा लोकसभा क्षेत्र के भाजपा पदाधिकारियों में भी अधिकांश ने हर्षवर्धन सिंह चौहान के पक्ष में राय दी है। हर्षवर्धन सिंह चौहान लगातार भाजपा नेताओं से मिल रहे हैं और कार्यकर्ताओं के साथ चुनावी जमावट कर रहे हैं दूसरी ओर अर्चना चिटनीस भी हार मानने को तैयार नहीं है।

गत दिवस भाजपा की पूर्व कैबिनेट मंत्री अर्चना चिटनीस भी बागली विधानसभा के नेता पूर्व मंत्री दीपक जोशी के साथ ही कांटाफोड़ में पूर्व जिला अध्यक्ष महेश दुबे मंडल अध्यक्ष सुनील पटेल नगर अध्यक्ष सुशील पंसारी के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं से रूबरू हुई थी।

कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों को खंडवा लोकसभा क्षेत्र के आदिवासी समुदाय को लेकर चिंता है। क्षेत्र की चार विधानसभा सीटें बागली, भिकनगांव, नेपानगर और पंधाना आदिवासियों के लिये सुरक्षित हैं।

इनमें से भीकनगांव छोड़कर शेष तीनों सीटें भाजपा के पास हैं। खंडवा लोकसभा क्षेत्र में करीब तीन लाख आदिवासी मतदाता हैं। ऐसे में आदिवासियों का राजनीतिक महत्व बढ़ जाता है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही आदिवासियों को रिझाने में लगे हुए हैं।

भाजपा जहां जनकल्याणकारी कार्यक्रमों के माध्यम से आदिवासियों को लुभाने में लगी है वहीं कांग्रेस आदिवासी अत्याचार का मुद्दा उठा रही है। अरुण यादव का नाम लगभग तय – कांगे्रस से अरुण यादव का नाम भी लगभग तय है।

सूत्रों के अनुसार कमलनाथ भी उनके नाम पर सहमत हैं, क्योंकि खंडवा लोकसभा क्षेत्र में यादव का कोई विकल्प नहीं है। सुरेंद्र सिंह शेरा की पहचान बुरहानपुर के बाहर नहीं है इस कारण से उनके नाम पर शायद ही विचार हो।

अरुण यादव के आला कमान में भी मजबूत संबंध हैं और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय संह खुलकर उनके साथ है। यही वजह है कि अरुण यादव ने अपना प्रचार अभियान भी तेज कर दिया है।

गत दिवस अरुण यादव ने देर शाम कांटाफोड़ में पीसीसी सदस्य मनोज होलानी ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष राजाराम यादव के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ताओं से रूबरू हुए।

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