ग्वालियर अंचल में अफीम, हेरोइन और ब्राउन शुगर का कारोबार पनप रहा?

ग्वालियर। ग्वालियर में नशे का कारोबार तेजी से पैर पसार रहा है। इस साल छह माह के भीतर ही करीब सात करोड़ रुपए कीमत का मादक पदार्थ पकड़ा गया है, जो पिछले साल से करीब 70 फीसदी अधिक है।

इससे स्पष्ट है कि हर साल ग्वालियर में नशे के कारोबारियों की जड़ें गहरी हो रही हैं। पुलिस सप्लायरों के बड़े नेटवर्क को तोड़ नहीं पा रही है। शहर मे बिक रहे नशीले पदार्थ, पकड़े गए तस्करों और सप्लायरों के बारे में पड़ताल की तो पला चला कि जिले में 14 बड़े तस्कर और 100 से ज्यादा एजेंट सक्रिय हैं।

इन तथ्यों से जिले की पुलिस भी इत्तेफाक रखती है। जो हर माह लगभग चार सौ करोड़ रुपए कीमत का नशीला पदार्थ बेच रहे हैं। (इसमें ओपी से बनने वाली शराब भी शामिल है) एक अफसर ने नाम गुप्त रखने के अनुरोध पर बताया कि पुलिस सिर्फ दस से 20 फीसदी नशीला पदार्थ ही पकड़ पाती है।

नशे का कारोबार – स्मैक उप्र के जालौन, मैनपुरी और राजस्थान के धौलपुर से स्मैक की सप्लाई होती है। क्राइम ब्रांच के एक अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि भिंड के मिहोना की रहने वालीएक महिला और उसका बेटा स्मैक की तस्करी में शामिल है, ग्वालियर में सबसे बड़ी सप्लाई यहीं से होती है। उप्र में जो स्मैक आती है, वह पाकिस्तान में बनाई जाती है।

यह स्मैक पाकिस्तान से नेपाल और वहां से गोंडा होते हुए उप्र के अलग-अलग हिस्सों में ग्वालियर अंचल में पहुंचती है। गांजा – उड़ीसा, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना से तस्कर पहले ट्रेन से गांजा ग्वालियर लाते थे। एपी एक्सप्रेस से गांजे की खेप कई बार पकड़ी गई। इस कारण तस्कर अलर्ट हो गए हैं।

अब तस्करों ने रायपुर को जंक्शन पाइंट बनाया। रायपुर तक वहां के सप्लायर सब्जी, फल के ट्रकों के नीचे छिपाकर भेजते हैं। उड़ीसा का मालकान गिरी और छत्तीसगढ़ का गारेला पेंड्रा मरवाही से बड़े तस्करों को ग्वालियर में बड़ी सप्लाई है। गांजे को 100-100 रुपए की पुडिय़ा बनाकर शहर में बेचा जाता है। ब्राउन शुगर तस्करों को 100 से 300 रुपए प्रति ग्राम तक मिल जाती है।

अफीम से ही ब्राउन शुगर बनाई जाती है। शहर में सबसे ज्यादा सप्लाई इसी की है। इसकी सप्लाई भी उप्र, राजस्थान और पंजाब से होती है। इसकी पुडिय़ा 300 से 500 रुपए तक बिकती है। हेरोइन की सप्लाई पंजाब, राजस्थान से सबसे ज्यादा होती है।

हरियाणा के कुछ तस्कर भी ग्वालिर के तस्करों के सम्पर्क में हैं। लेकिन शहर में इसकी खपत कम है, क्योंकि यह महंगा ड्रग है। इसके सप्लायर भी शहर में कम हैं, अधिकांश सप्लायर बाहर के हैं। अफीम का प्रचलन पिछले कुछ समय से नहीं हुआ है।

ग्वालियर के डोंगरपुर में प्रशासन ने तीन करोड़ रुपए की अफीम पकड़ी थी, यहां खेती हो रही थी। इससे पहले पनिहार में अफीम की खेती पकड़ी गई। भिंड में अफीम की बड़ी सप्लाई होती है।

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker