मनोरमा ने बैंक ऑफिसर ने कहा था, तुम अपने से रखो मतलब

 भागलपुर। सरकारी राशि घोटाला मामले में तत्कालीन एसएसपी मनोज कुमार के निर्देश पर बैंक आफ बड़ौदा के स्केल टू आफिसर अतुल रमन को अगस्त 2017 में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।

उस समय अतुल ने पुलिस को दिए अपने बयान में कहा था कि उसे मजबूरीवश अपने उच्चाधिकारियों के दबाव में आकर सृजन महिला विकास सहयोग समिति की सचिव मनोरमा देवी का साथ देना पड़ा। उसने जानबूझकर गलत काम नहीं किया।

अतुल ने बयान दर्ज कराया था कि उसने चार अक्टूबर 2014 को बैंक आफ बड़ौदा में पदभार ग्रहण किया था। क्रेडिट का कार्य पूर्व में ऋद्धि मिश्रा देखती थी। पदभार ग्रहण करने के बाद उन्होंने सारा कामकाज समझाया और कहा कि अपने कार्य से संबंधित एकाउंट ही केवल देखो।

सृजन और सभी सरकारी खातों की देखरेख बैंक आफ बड़ौदा के सीनियर मैनेजर वरूण कुमार तथा संत कुमार सिन्हा स्पेशल असिस्टेंट करते थे।

एक बार सरकारी खाते की कुछ त्रुटियां उसने पकड़ी और अपने मैनेजर को रिपोर्ट किया तो उन लोगों ने कहा कि इन खातों को देखने की कोई जरूरत नहीं है। उससे कहा गया कि जैसा सभी कर रहे वैसा ही करो।

इसके बाद उसने सीनियर की भांति खाते को देखना शुरू कर दिया। यह जानकारी जब मनोरमा देवी को हुई तो उन्होंने मुझे धमकी भी दी थी। कहा था, अपनी नौकरी करो, जो कहा जाए वही करो। मनोरमा देवी की धमकी के बाद मैं डर गया था।

अतुल ने बयान दर्ज कराया था कि 2015 में उसे गडबड़ी की पहली शंका हुई। उसने बताया कि जिला परिषद के एक एडवाइस बैंक में आया। मगर खाते में इस खाते में शून्य बैलेंस था।

इस बात की जानकारी जब वरूण कुमार और संत कुमार सिन्हा को दिया तो उन्होंने कहा कि एडवाइस ले लो खाते में तीन चार दिनों में पैसा आ जाएगा। उन दोनों के कहे अनुसार ही तीन चार दिनों बाद सृजन के खाते से जिला परिषद के संबंधित मद में पैसे आ गए। इसके बाद भी लगातार लेने देन जारी रहा।

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