बुंदेलखंड में यमुना, बेतवा और केन में बाढ़ से तबाही शुरू, कई गांव बाढ़ की चपेट में

बाँदा। बुंदेलखंड के जालौन, हमीरपुर और बांदा में यमुना बेतवा और केन नदियों में बाढ आ जाने से तबाही शुरू हो गई है। बड़ी संख्या में नदी किनारे के गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं ,वही सैकड़ों हेक्टेयर खरीफ की फसल पानी में जलमग्न हो जाने से किसानों को भारी नुकसान पहुंचा है। बाढ़ से निपटने के लिए प्रशासन नदी के किनारे के गांवों व बस्तियों को खाली करा रहे है।

जालौन में यमुना के जलस्तर ने अपने पिछले उच्चतम रिकॉर्ड को तोड़ दिया है। रौद्र रूप धारण कर चुकी यमुना खतरे के निशान से साढ़े चार मीटर ऊपर बह रही है। जलस्तर बढ़ने से यमुना का पानी नगर में नालों के माध्यम से मोहल्लों में घुस गया है।

जिससे कई मोहल्लों के घरों में पानी घुसने लगा। लोग पचपिण्डा देवी मंदिर व छंगे आश्रम मंदिर, सहित ऊंचे स्थानों में पहुंच गए है। कुछ लोग घरों की छत पर जीवन गुजारने पर मजबूर हैं। शहर हो या गांव दोनों जगह नाव से आवागमन हो रहा है।

हमीरपुर में यमुना और बेतवा नदियां उफान पर हैं। बेतवा में माताटीला बांध से दो लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। इससे बाढ़ का खतरा और बढ़ गया है। यहां यमुना का जलस्तर 105.440 मीटर पर पहुंच गया, जो खतरे के निशान 103.632 मीटर से 1.80 मीटर ज्यादा है।

दोनों नदियां अभी भी पांच सेमी प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रही हैं। बेतवा नदी भी खतरे के निशान से 34 सेमी ऊपर बह रही है। मौजूदा में इसका जल स्तर 104.580 मीटर पर पहुंच गया है, जबकि खतरे का बिंदु 104.546 मीटर है।

इधर बांदा में केन व यमुना नदी के जलस्तर में वृद्धि के साथ ही सहयोगी नदी-नाले भी उफना गए हैं। बाढ़ का पानी संपर्क मार्गों और गांवों में घुस गया। लोगों का आने-जाने का संपर्क टूट गया। यमुना नदी 100.84 मीटर पर बह रही है।

यह खतरे के निशान से 84 सेंटीमीटर ज्यादा है। केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक, 5 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से यमुना नदी का जल स्तर बढ़ रहा है। उधर, चिल्ला में यमुना नदी के खतरे का निशान पार करने पर नरी गांव में पानी भर जाने से पूर्व माध्यमिक विद्यालय सहित कई मकान जलमग्न हो गए।

चिल्ला में यमुना नदी खतरे के लाल निशान से 84 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। उधर, केन व चंद्रायल नदी के उफनाने से गौरीकलां, अमारा, पैलानी डेरा, सिंधनकलां, नांदादेव, पड़ोहरा समेत एक दर्जन से ज्यादा गांव बाढ़ व रपटा उफनाने से घिर गए हैं। तीन दर्जन से अधिक गांवों का दूसरे गांवों से संपर्क टूट गया है।

पैलानी, जसपुरा व बांदा जाने के लिए लोग नावों का सहारा ले रहे हैं।निचले इलाकों व नदी किनारे की बस्तियों को खाली कराकर लोगों को बाढ़ चौकियों में पहुंचाने के भी निर्देश दिए हैं। उधर, बाढ़ के पानी से किसानों की सैकड़ों हेक्टेयर खरीफ की फसल बर्बाद हो गई है। नदी किनारे के ख्ेात जलमग्न हो गए है।

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