एटीएस के निशाने पर गोरखपुर के कई व्यापारी
टेरर फंडिंग के मामले में अब एटीएस के साथ ही पुलिस और अन्य विभाग भी हरकत में आ गए हैं। एटीएस के इनपुट पर पुलिस, इनकम टैक्स, सेल्स टैक्स और बैंक ने अपने-अपने स्तर से पड़ताल शुरू कर दी है। वहीं, टेरर फंडिंग के लिए हवाला कारोबार में नाम आने के बाद अब एटीएस की पहल पर पुलिस शहर के दर्जनों व्यापारियों को पाबंद करने की तैयारी कर रही है।
यूपी एटीएस की अलग-अलग टीमों ने गोरखपुर से लेकर नेपाल व बिहार तक काम शुरू कर दिया है। एटीएस अधिकारियों के मुताबिक अब तक जांच में टेरर फंडिंग के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले जितने भी बैंक खाते सामने आए हैं, उनकी डिटेल अब एटीएस के पास आनी शुरू हो गई है।
वहीं, दूसरी ओर सभी दस आरोपियों के जेल जाने के बाद शहर के कुछ और बड़े व्यापारियों और सफेदपोशों पर भी एटीएस की कार्रवाई का खतरा मंडराने लगा है। अब तक की जांच में एटीएस ने पाकिस्तान वाया नेपाल-गोरखपुर कनेक्शन तो पहले ही निकाल चुकी है।
वहीं, पकड़े गए आरोपी के खिलाफ एक-दो नहीं बल्कि कई अहम सबूत भी टीम ने इकट्ठा कर लिए हैं, लेकिन अब एटीएस का दूसरा कदम देश भर में फैले टेरर फंडिंग के नेटवर्क को तोडऩे के लिए बढ़ेगा। टेरर फंडिंग के मामले में यूपी एटीएस ने 24 मार्च 2018 को गोरखपुर सहित अलग-अलग शहरों से दस लोगों को गिरफ्तार किया था।
इनमें बलदेव प्लाजा के दो बड़े मोबाइल कारोबारी सहित छह आरोपियों की गिरफ्तारी गोरखपुर से हुई थी, जोकि अलग-अलग इलाकों में किराए का कमरा लेकर रहते थे। एटीएस ने आरोपियों को कोर्ट में पेश करने के बाद कोर्ट के आदेश पर आरोपियों को पांच दिनों की ट्रांजिट रिमांड पर लिया था।
उस दौरान टीम ने उनके ठिकानों से कई अहम सबूत भी हासिल किए थे। एटीएस के मुताबिक अब तक की जांच और पूछताछ में इस नेटवर्क के बारे में तमाम बातें सामने आई हैं। पहले पकड़े गए अधिकांश आरोपी इस वक्त जमानत पर रिहा हैं। लेकिन एटीएस उनपर बराबर अपनी नजरें टिकाए हुए है।