जुनून से कामयाबी

एक थियेटर मालिक अपने लकड़ी के बने कक्ष में बैठा हुआ उस दिन की कमाई के सिक्के गिन रहा था। उसी समय उसके एक नौकर ने आकर उसे बताया कि एक लड़का आपसे मिलने की जिद बहुत देर से कर रहा है। थियेटर का मालिक जल्दी में था। 

उसने कहा-उसे जल्दी से भेज दो, मुझे बाहर जाना है। जब वह लड़का आया तो  थियेटर का मालिक उसके डील डौल व पहनावे को देख कर मुस्करा उठा क्योंकि उस युवक की आयु लगभग 21-22 वर्ष थी। उसका शरीर बेडौल तथा चेहरा अजीब था। उसने युवक से कहा कि बताओ क्या काम है। युवक ने प्रार्थना की कि मैं थियेटर में होने वाले नाटकों में हिस्सा लेना चाहता हूं।

मालिक ने कुछ सोचकर कहा कि तुम केवल नाटकों में विदूषक की भूमिका के लिए ही उपयुक्त हो, यदि तुम चाहो तो विदूषक का अभिनय कर सकते हो। इसके साथ ही थियेटर के मालिक ने कहा कि तुम्हें केवल उतना ही पारिश्रमिक मिलेगा, जितना जीवन निर्वहन के लिए आवश्यक होगा। उस युवक ने उस प्रस्ताव को तुरंत स्वीकार कर लिया।

युवक ने विदूषक की भूमिका इतनी अच्छी तरह से निभाई कि विभिन्न थियेटरों के मालिक उसे अपने साथ लेने के लिए मनमानी धनराशि की पेशकश करने लगे। उसने बाद में अपनी थियेटर कंपनी बनाई और एक अभिनेता और नाटककार के रूप में अप्रतिम सफलता प्राप्त की। दुनिया आज उसे विलियम शेक्सपियर के नाम से जानती है।

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