नसीहत

सचिन तेंदुलकर किशोर उम्र में शारदाश्रम स्कूल की जूनियर टीम में खेला करते थे। उनके साथ 12 वर्ष की उम्र में एक घटना हुई, जिसने उनकी सोच को परिवर्तित करके रख दिया। उनके गुरु आचरेकर ने उन्हें एक दूसरे स्कूल में प्रेक्टिस करने के लिए कहा लेकिन सचिन अपने गुरु की बात न मानकर अपने स्कूल की सीनियर टीम का मैच देखने चले गए।

शाम को जब सचिन की मुलाकात गुरु आचरेकर से हुई तो उन्होंने सचिन से उनके उस दिन के प्रदर्शन के बारे में पूछा और कहा कि आज तुमने कितने रन बनाए? इस पर सचिन ने उन्हें बताया कि वह मैच खेलने नहीं गए थे बल्कि वह तो सीनियर टीम का हौसला बढ़ाने के लिए ताली बजा रहे थे।

गुरु आचरेकर सचिन पर बहुत क्रोधित हुए। उन्होंने कहा, ‘तुम्हें दूसरों के लिए तालियां बजानी है या खुद भी उस लायक बनना है? तुम खेलो और इस तरह खेलो कि दुनिया तुम्हारे लिए तालियां बजाते न थके।’ इस तरह गुरु की एक प्रतिक्रिया ने सचिन की पूरी जिंदगी बदल कर रख दी। सचिन ने अपने गुरु का सपना भी सच कर दिखाया।

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