बकस्वाहा बचाने को यूएनओ में दस्तक

बांदा,संवाददाता। बुंदेलखंड के बकस्वाहा जंगल में हीरा खनन का मुद्दा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) और हाईकोर्ट के बाद अब संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) पहुंच गया है।

मध्यप्रदेश के गुना के पर्यावरण एक्टिविस्ट डा. पुष्पराग शर्मा ने संयुक्त राष्ट्र संघ से संबद्ध इंटरनेशनल यूनियन फार कंजरवेशन आफ नेचर (आईयूसीएन) ग्लांड और स्विट्जरलैंड के सीईओ ब्रूनो ओबेले को 13 जुलाई को याचिका भेजी है।

पर्यावरण एक्टिविस्ट डॉ. शर्मा ने इसके अलावा प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को भी यही याचिका भेजी है। पीएमओ ने याचिका को एमपी के मुख्य वन संरक्षक को 16 जुलाई को भेज दिया है। याचिका में कहा गया कि बकस्वाहा जैव विविधता से भरपूर प्राकृतिक वन क्षेत्र है।

यहां 2.15 लाख पेड़ काटे जाने से उसमें रहने वाले जंगली जानवर, पशु-पक्षी, कीट-पतंगे और पुरातत्व महत्व के शैल चित्रों को भारी नुकसान पहुंचेगा। इसके अलावा जंगल के बीच से बहने वाली नदी भी खत्म हो जाएगी।

एनजीटी और हाईकोर्ट के बाद पर्यावरण प्रेमियों ने अब अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण संरक्षण मंचों से भी गुहार लगाई है। छतरपुर के बकस्वाहा जंगल को मध्य प्रदेश सरकार द्वारा हीरा खदान के लिए बिरला ग्रुप की एक्सल माइनिंग एडं एंडस्ट्रीज को 50 साल के पट्टे पर दिया है।

हीरा खनन के लिए जंगल में लगे 2.15 लाख से ज्यादा हरे पेड़-पौधे काटे जाएंगे। इतने बड़े पैमाने पर हरे पेड़ों की कटान का मुद्दा तेजी से गरमाया हुआ है। एनजीटी ने दिल्ली के पर्यावरण पैरोकार वकील डॉ. पीजी नाजपांडे और उज्ज्वल शर्मा द्वारा दायर रिट पर सुनवाई के बाद 30 जून को पेड़ों की कटान पर रोक लगाकर चार हफ्ते में प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है।

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