क्रांतिकारी मंगल पांडेय की मनाई गई जयंती

भरुआ सुमेरपुर। वर्णिता संस्था के तत्वावधान मे विमर्श विविधा के अन्तर्गत जरा याद करो कुर्बानी के तहत सत्तावनी समर के सूत्रधार मंगल पान्डेय की जयन्ती पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई।
संस्था के अध्यक्ष डा भवानीदीन ने कहा कि मंगल पान्डेय सही अर्थों मे सत्तावन के संघर्ष के प्रथम पुरोधा थे। जिन्होंने  आजादी के प्रथम समर 1857 मे विद्रोह का बिगुल फूंका था। उनके आह्वान पर देशभक्तों ने 10 मई 1857 को पूरे देश मे एक साथ विद्रोह करने की योजना बनायी थी।
किन्तु एक माह पहले कारतूस मे गाय की चर्बी लगी होने के प्रकरण ने उनको विद्रोही बना दिया। उन्होंने एक अंग्रेज पर हमला कर गोरों के विरुद्ध विद्रोह का श्रीगणेश किया।
इस पर मंगल पान्डेय को 08 अप्रैल 1857 को मात्र तीस साल की उम्र मे फांसी के फन्दे पर लटका दिया गया। कार्यक्रम मे अशोक अवस्थी और रमेशचन्द्र गुप्ता आदि शामिल रहे।
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