अनुशासन का पाठ
राष्ट्रपति जाकिर हुसैन दिल्ली स्थित जामिया मिलिया विश्वविद्यालय के प्राण थे। अपनी बड़ी उम्र उन्होंने इस विद्या केन्द्र की स्थापना और विकास में लगा दी। बात उन दिनों की है, जब वह इसके प्रधान थे। जाकिर साहब बड़े अनुशासनप्रिय और को सफ़ाई पसन्द शिक्षाविद् थे।
उनकी इच्छा थी कि वहां के छात्र भी साफ़-सुथरे रहें और प्रतिदिन अपने जूतों पर पॉलिश करके आया करें। उन्होंने महसूस किया कि विद्यार्थी उनके कहे पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। इसलिए उन्होंने विद्यार्थियों को अच्छा सबक सिखाना चाहा।
एक दिन प्रात: छात्रों को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि संस्था के साहब विद्यालय के द्वार पर पॉलिश और ब्रुश लिये बैठे हैं। यह देखकर छात्रगण पानी-पानी हो गये। इस घटना का विद्यार्थियों पर अनुकूल प्रभाव पड़ा। अब वे नियम से अपने जूतों पर पालिश करके आने लगे थे। उनमे बेहद अनुशासन भी देखने में आता था।