क्लर्क समेत 24 भर्तियों के लिए होगा सीईटी
राजस्थान में भी केंद्र की तर्ज पर कई तरह की सरकारी भर्तियों के लिए एक समान पात्रता परीक्षा (सीईटी) होगी। जिस तरह केंद्र में रेलवे, एसएससी और आईबीपीएस भर्तियों की प्रारंभिक परीक्षा के लिए एनआरए (नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी) सीईटी कराएगा, उसी तरह राजस्थान में भी राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में होने वाली भर्तियों के लिए परीक्षा होगी।
राजस्थान सीईटी का आयोजन साल में एक बार होगा। यह 20 सेवाओं की 24 भर्तियों के लिए होगा। इनमें ग्रेजुएट लेवल की 12 और सीनियर सेकंडरी लेवल (12वीं) की 8 सेवाएं शामिल हैं। इसमें पटवारी, एलडीसी, क्लर्क व ग्राम विकास अधिकारी जैसी भर्तियां शामिल हैं। कार्मिक विभाग ने बुधवार को इसके आदेश जारी कर दिए। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट में इसकी घोषणा की थी।
यह परीक्षा अधीनस्थ, मंत्रालयिक सेवाओं के गैर तकनीकी पदों पर भर्ती के लिए लागू होगी। इसमें मल्टीपल च्वॉइस प्रश्न पूछे जाएंगे। आयु समेत विभिन्न आरक्षण के नियम इस पर लागू रहेंगे।
राजस्थान सीईटी (कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट) का आयोजन का जिम्मा राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड पर होगा। राजस्थान सीईटी में प्राप्त अंकों की वैधता अवधि 3 साल तक रहेगी।
कोई भी उम्मीदवार परीक्षा में एक बार बैठकर अर्जित अंकों के आधार पर 3 सालों तक संबंधित पदों की भर्ती के लिए आवेदन कर सकेगा। इस परीक्षा में शामिल होने के अवसरों की कोई सीमा तय नहीं है। जिस वर्ष की परीक्षा में अभ्यर्थी के अधिक अंक होंगे, उसे ही पात्रता के लिए गिना जाएगा।
जो भर्तियां चल रही हैं, उन पर सीईटी लागू नहीं होगा।
जो भर्तियां वर्तमान में चल रही हैं, उन पर सीईटी लागू नहीं होगा। RSMSSB की ओर से की जा रही 4421 पदों की पटवारी भर्ती पर सीईटी लागू नहीं होगा।
एक तरह से प्रीलिम्स परीक्षा होगा सीईटी
सीईटी एक तरह से प्रीलिम्स परीक्षा होगी। इससे स्क्रीनिंग होगी। इससे उम्मीदवारों को छांटा जाएगा। इसके बाद जिस पद के लिए भर्ती निकलेगी। उसकी अलग से परीक्षा होगी, जो मुख्य परीक्षा होगी।
इसमें शामिल होने के लिए संबंधित भर्ती एजेंसी पात्रता परीक्षा की न्यूनतम कटऑफ जारी कर देगी, कि कितने प्राप्तांक तक के अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा के लिए आवेदन कर सकते हैं।
क्या होगा फायदा
इससे भर्ती एजेंसी और उम्मीदवारों का समय और पैसा बचेगा। अभी उन्हें एक स्तर की भर्तियों के लिए अलग अलग आवेदन करना पड़ता है। अब एक कॉमन परीक्षा होने से माथा पच्ची कम होगी। अलग पैटर्न होने के कारण उम्मीदवारों को अलग-अलग प्रकार से परीक्षा की तैयारी करनी पड़ती है। एक परीक्षा होने से एक ही किस्म की तैयारी करनी होगी। चयन बोर्ड वन टाइम रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था लागू करेगा। परीक्षा के आधार पर होने वाली भर्ती के लिए बार-बार आवेदन नहीं करना पड़ेगा।