विवेकशीलता

एक राजा अपने उत्तराधिकारी को लेकर खासा चिंतित था। ऐसा नहीं था कि राजा की योग्य संतान नहीं थी। उसके चार पुत्र थे। लेकिन मोहवश वह रानियों के आग्रह के चलते निर्णय लेने की स्थिति में नहीं था। राजा ने तीर्थयात्रा पर जाने का मन बनाया।

लेकिन इस दौरान उसने अपने पुत्रों की योग्यता की परीक्षा लेने की सोची ताकि योग्य वारिस का फैसला हो सके। राजा ने अपने चारों पुत्रों की बुद्धिमत्ता जांचने के लिए उन्हें एक-एक मुट्ठी धान दिया। राजा ने पुत्रों से कहा कि इस धान का जो चाहे सो करना। फिर राजा तीर्थयात्रा पर चला गया। चारों में से एक राजकुमार ने उसे तुच्छ वस्तु समझ कर फेंक दिया।

दूसरे ने सोचा यह अवश्य ही चमत्कारी चावल होंगे, उसने उन्हें पका कर खा लिया। तीसरे ने उन्हें सोने के डिब्बे में बन्द करके रख दिया कि पिताजी वापस आएंगे तो अपने उपहार को सुरक्षित देखकर प्रसन्न होंगे।

चौथे राजकुमार ने उसे खेतों में बिजवा दिया, जिससे भरपूर फसल पैदा हुई। राजा वापस लौटा तो उसने चौथे राजकुमार को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया क्योंकि उसने ही संसाधनों का सदुपयोग किया था।

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