आचरण से सुंदरता

एक बार श्रीराम ने कहा कि लक्ष्मण मेरे और सीता के बीच एक विवाद हो गया है। तुम न्याय करो। लक्ष्मण जी मान गए। श्रीराम ने कहा, ‘मैं कहता हूं कि मेरे चरण सुंदर हैं। सीता कहती हैं कि उनके चरण सुंदर हैं। तुम दोनों के चरणों की पूजा करते हो।

अब तुम ही फैसला करो कि किसके चरण सुंदर हैं।’ लक्ष्मण जी बोले, ‘आप मुझे इस धर्म संकट में मत डालिए।’ तब श्रीराम ने समझाया, ‘तुम बैरागी हो। निर्भय होकर कहो। किसके चरण सुंदर हैं।’ राम के चरणों को दिखाते हुए लक्ष्मण जी बोले कि माता, ‘इन चरणों से आपके चरण सुंदर हैं।’ माता सीता खुश।

इस पर लक्ष्मण जी बोले, ‘माता अधिक खुश मत होना। भगवान राम के चरण हैं, तभी आपके चरणों की कीमत है।’ अब रामजी खुश हो गए। तब लक्ष्मणजी फिर बोले, ‘आप दोनों को खुश होने की जरूरत नहीं। आप दोनों के चरणों के अलावा भी एक चरण हैं, जिसके कारण ही आपके चरणों की पूजा होती है यानी आचरण।

आपके चरण सुंदर हैं तो उसका कारण आपका महान आचरण है। व्यक्ति का आचरण अच्छा हो तो उसका तन और मन दोनों ही सुंदर होते हैं और वह संसार में अपने नाम की अमिट छाप छोड़ जाता है।’

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