जेपी सेंटर के घोटाले में आरोपी पूर्व IAS सतेंद्र सिंह ने तत्कालीन शासन को भी लपेटा
लखनऊ : जेपी इंटरनेशनल सेंटर के घोटाले के आरोपी व पूर्व आईएएस सतेंद्र सिंह ने शासन व एलडीए के तीन अधिकारियों को भी प्रकरण में दोषी ठहराया है। उन्होंने लिखा है कि जिस अनियमितता का उन पर आरोप है उससे शासन के तत्कालीन आला अफसर अच्छे से वाकिफ थे। एलडीए के तत्कालीन सचिव सहित तीन बड़े अधिकारियों इसकी फाइल तैयार की थी। परियोजना के निर्माण में करीब 40 करोड़ के घोटाले की बात सामने आयी है। घोटाला 2014 से 2016 के बीच हुआ। जेपी सेन्टर के निर्माण पर कुल 864 करोड़ खर्च हुआ है।
जेपी इंटरनेशनल सेंटर के निर्माण की जांच 2017 में बीजेपी सरकार बनने के बाद शुरू हुई। पूर्व आईएएस व तत्कालीन एलडीए उपाध्यक्ष सत्येंद्र सिंह पर घोटाले का आरोप है। शासन ने इसके लिए उन्हें आरोप पत्र दिया था। इसका जबाव सतेन्द्र ने काफी पहले दिया था लेकिन इसे शासन में ही दबा दिया गया। अब शासन ने उनके आरोप पत्र को संज्ञान लेकर फिर से इसकी जांच शुरू करायी है। जांच की जिम्मेदारी लखनऊ के कमिश्नर को दी गयी है। सतेन्द्र सिंह ने आरोप पत्र में लिखा है कि जिस अनियमितता का उनपर आरोप है उसमें शासन के तत्कालीन अधिकारियों की भी सहमति थी। तत्कालीन प्रमुख सचिव व सचिव आवास हर सप्ताह इसकी समीक्षा करते थे। एलडीए के तत्कालीन वित्त नियंत्रक, मुख्य अभियन्ता व सचिव ने इसकी फाइल संस्तुति के साथ उनके पास भेजी।
जेपी सेन्टर के निर्माण में स्वीकृत डीपीआर के अतिरिक्त काम करा दिए गए। बिना शासन की मंजूरी के केवल बिजली के करीब चार करोड़ रुपड़े काम करा दिए। बिजली के कामों के लिए 39.90 करोड़ रुपए डीपीआर में स्वीकृत था। इसकी जगह 43.92 करोड़ काम करा दिया। जिससे वित्तीय क्षति हुई। इसी तरह कुछ अन्य कामों के लिए 209.60 करोड़ रुपए स्वीकृत था। जिसे बढ़ाकर 249.79 करोड़ रुपए कर दिया गया। इसमें करीब 40 करोड़ की क्षति बतायी गयी।