कोरोना संक्रमण घटा पर सावधानी जरूरी – सीएम

लखनऊ। टेस्ट, ट्रेस और ट्रीट के मंत्र के अनुरूप कोरोना के खिलाफ रणनीति कारगर सिद्ध हो रही है। एक ओर जहां प्रदेश में कोविड टेस्टिंग में हर दिन एक नया रिकॉर्ड बन रहा है, वहीं दैनिक केस में निरंतर कमी आती जा रही है और रिकवरी दर बेहतर होता जा रहा है। वर्तमान में प्रदेश में कुल 76,703 एक्टिव कोरोना मरीज हैं। एक्टिव केस में यह कमी अच्छे संकेत देती है। 30 अप्रैल की पीक की स्थिति के सापेक्ष 24 दिन के भीतर मरीजों की संख्या में 75.3 फीसदी की कमी आई है। अब तक 15 लाख 77 हजार 729 लोगों ने कोरोना पर जीत प्राप्त की है। प्रदेश के रिकवरी दर में हर दिन बेहतरी हो रही है। अब यह 94.8% तक पहुंच गया है। विगत 24 घंटों में कोविड संक्रमण के 3,981 केस सामने आए हैं, जबकि इसी अवधि में 11,918 लोग स्वस्थ होकर डिस्चार्ज भी हुए हैं। यह बात मुख्यमंत्री ने आज टीम 9 को दिशा निर्देश देते हुए कहा।

उन्होंने कहा के कोविड टेस्टिंग में उत्तर प्रदेश हर दिन एक नया रिकॉर्ड बना रहा है। बीते 24 घंटे में 03 लाख 26 हजार 399 टेस्ट किए गए हैं।  इतना टेस्ट करने वाला एक मात्र राज्य उत्तर प्रदेश ही है।

उन्होंने निर्देश दिया कि होम आइसोलेशन में उपचाराधीन मरीजों से लगातार संवाद बनाए रखा जाए। इनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए टेलीकन्सल्टेशन के माध्यम से चिकित्सकीय परामर्श की व्यवस्था को और बेहतर किया जाए। जनपदीय आइसीसीसी और सीएम हेल्पलाइन के माध्यम से मरीजों से संवाद कर उन्हें मिल रही सुविधाओं की जांच कराई जाए। वरिष्ठ अनुभवी तथा बुजुर्ग चिकित्सकों को आग्रह के साथ टेलीकन्सल्टेशन कार्य से जोड़ा जाए।

प्रदेश में ऑक्सीजन प्लांट स्थापना अभियान स्वरूप में की जा रही है। अब तक विभिन्न जिलों में 414 ऑक्सीजन प्लांट स्वीकृत किये गए हैं, इनमें से 51 क्रियाशील हो चुके हैं। उत्तर प्रदेश ऑक्सीजन उत्पादन के पैमाने पर आत्मनिर्भर होगा।

यह संतोषप्रद है कि प्रदेश में कोरोना महामारी की आक्रामकता न्यूनतम हो गई है, लेकिन थोड़ी सी भी लापरवाही अब तक के सभी प्रयासों को निरर्थक बना सकती है। हमें लगातार सतर्क और सावधान रहना होगा। आंशिक कोरोना कर्फ्यू को प्रभावी ढंग से लागू रखा जाए।

-विशेषज्ञों के आकलन के दृष्टिगत कोरोना की तीसरी लहर से बचाव के संबंध में प्रो-एक्टिव नीति अपनाई जा रही है। सभी मेडिकल कॉलेजों में पीआईसीयू और एनआईसीयू की स्थापना को तेजी से पूरा किया जाए। सभी 58 मेडिकल कॉलेजों में 100-100 बेड के पीआईसीयू स्थापित किये जाने हैं। इसके साथ 50 बेड का एनआईसीयू भी हो। वर्तमान में 1900 बेड की क्षमता है, इसने 5800 तक बढ़ाया जाना है। यह कार्य शीर्ष प्राथमिकता के साथ किया जाए।

आजमगढ़, बांदा, जालौन सहित ऐसे सभी जिले जहां 300-400 बेड के सरकारी हॉस्पिटल हैं, उनकी क्षमता विस्तार कर न्यूनतम 700-800 बेड के रूप में तैयार किया जाए।

सीएम हेल्पलाइन और आइसीसीसी के माध्यम से कोरोना मरीजों/परिजनों से संवाद बना कर उनकी जरूरतों की पूर्ति कराई जा रही है। अब इसी प्रकार पोस्ट कोविड मरीजों और ब्लैक फंगस की समस्या से ग्रस्त मरीजों/परिजनों से हर दिन संवाद किया जाए। उनकी सभी आवश्यकताओं का ध्यान रखा जाए।

बेसिक शिक्षा विभाग में ‘ऑपरेशन कायाकल्प’ की तर्ज पर स्वास्थ्य और मेडिकल एजुकेशन विभाग में भी अभियान चला कर व्यवस्था सुदृढ़ की जाए। जनप्रतिनिधियों से सहयोग का आग्रह किया जाए। आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाएं सतत जारी रखी जाए। सभी जिलों में महिलाओं और बच्चों के लिए पृथक हॉस्पिटल सतत क्रियाशील रहे।

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