मानवता की सेवा
सम्पन्न माता-पिता की बेटी फ्लोरेंस नाइटिंगेल प्रकृति प्रेमी, जीवों के प्रति दया व सहानुभूति रखने वाली लड़की थी। चिंतनशील व विचारशील फ्लोरेंस को डायरी लिखने का शौक था।
वह अपने माता-पिता के साथ यात्रा कर रही थी। यात्रा करते हुए उसने लोगों के कष्ट और मुसीबतें महसूस की। वह अपने माता-पिता से बोली, ‘उसे मानवता की सेवा करनी है।’
लेकिन नन्ही बच्ची को समझ नहीं आ रहा था कि वह मानवता की सेवा कैसे करे। एक दिन उसने इच्छा जताई कि ‘उसे नर्सिंग के माध्यम से मानवता की सेवा करनी है।’ नर्सिंग उस समय अच्छा काम नहीं माना जाता था। सम्पन्न परिवार की लड़की नर्सिंग करेगी, यह माता-पिता को कतई मंजूर नहीं था। मानवता की सेवा की प्रबल इच्छा के सामने उसने शादी के प्रस्तावों को ठुकरा दिया।
वह गरीब बस्तियों और अस्पतालों में जाकर पीडि़त व बीमार लोगों की सेवा करती। बेटी की जिद के आगे आखिर माता-पिता ने उसे जर्मनी में नर्सिंग के प्रशिक्षण के लिए भेजा। आखिर फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने नर्सिंग के क्षेत्र में क्रांतिकारी सुधार व परिवर्तन किए। मानवता को समर्पित नाइटिंगेल आधुनिक नर्सिंग की जनक कहलाई।