होली घर में

इस बार होली का आगमन ऐसे वक्त में हो रहा है जब देश में  फिर कोरोना संकट तेजी से पैर पसार रहा है। बीते साल भी होली के बाद कोरोना संक्रमण में तेजी आई थी, इस बार होली से पहले ही तेजी है, तेजी से फैलने वाले विषाणु के रूपांतरण के साथ।

वक्त की अजीब दास्तां है कि जो इस पर्व का मर्म है, वही वायरस के लिये उर्वरा भूमि है। पर्व का मकसद सामाजिक समरसता को सींचना और रंगों के जरिये मन के कलुष को धोना रहा है। ऐसा पर्व, जिसमें राजा से रंक तक एक स्थान पर रंगों के जरिये समता का समाज रचते हैं।

लेकिन इस त्योहार की जो ताकत है, वह बदले हालात में हमारी कमजोरी साबित हो सकती है। निस्संदेह, रंगों का अपना विज्ञान है और इसका रिश्ता हमारे शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य से है। रंगों की मस्ती में हम कई वर्जनाओं को तोड़कर सहज होते हैं।

मन के गुब्बार निकलते हैं। मस्ती के रेले, मेले व सार्वजनिक समारोह, कवि सम्मेलन आदि जीवन की एकरसता को तोड़कर उमंग भरते हैं। लेकिन विशेषज्ञ चुनौती दे रहे हैं कि यदि हम रंगों की मस्ती में डूबे तो कोरोना के सुपरस्प्रैडर बन सकते हैं।

वैसे भी कोरोना का नया वैरिएंट पिछले के मुकाबले कई गुना तेजी से फैलता है।  हमें होली भी मनानी है मगर घर की चहारदीवारी में और अपनों के संग। त्योहार को एक व्रत की तरह मनाना है ,जिसमें हम त्याग करते हैं, बेहतरी के लिये। संयम की जरूरत होगी होली के इस व्रत को मनाने के लिये।

सही भी है, यदि जीवन सुरक्षित रहेगा तो आने वाले समय में कई मौके हमें त्योहार को हर्ष-उल्लास से मनाने के मिलेंगे। ध्यान रहे बीते वर्ष अक्तूबर-नवंबर में नवरात्र-दीवाली आदि के बाद संक्रमण में तेजी आई थी।

सतर्कता के साथ होली मनाना हमारी सामाजिक जिम्मेदारी भी है, बुजुर्गों व समाज के संवेदनशील वर्ग की सुरक्षा की दृष्टि से भी। समाज में वर्ग-भेद की दीवारों को तोड़ने वाले पर्व को हमें सतर्कता की दीवारों के बीच मनाना होगा, जो वक्त की मांग भी है।

यदि हमने लापरवाही बरती तो कोविड-19 के नये वैरिएंटस के साथ देश के लिये बड़ी चुनौती पैदा हो सकती है। हमारी जरा-सी चूक से वायरस को पैर पसारने का मौका मिल सकता है।

दरअसल, होली के समारोहों में लोग मिलते-जुलते हैं और खाना-पीना साथ होता है, जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन नहीं हो पाता। फिर देश के अलग-अलग इलाकों में एक दिन से लेकर सप्ताह तक के आयोजन होते हैं, जिसमें हमें भीड़भाड़ से बचने की जरूरत है।

ऐसे में एक संक्रमित व्यक्ति कई लोगों को संक्रमित कर सकता है। यदि पानी से मास्क भीग जाता है तो वह बचाव करना बंद कर देता है। एेसे में जरूरी है कि हम घर में सुरक्षित रह कर होली मनायें।

साथ ही उन राज्यों में जाने और वहां के लोगों के संपर्क में आने से बचें जहां कोरोना तेजी से फैल रहा है। यही वजह है कि कई राज्य सरकारों ने क्लब, होटल एवं रेस्तरां में होली के सार्वजनिक समारोहों तथा मेलों व सामूहिक पूजा पर रोक लगायी है।

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