कोरोना वैक्सीन में पोर्क का इस्तेमाल नहीं होता : अस्ट्रज़ेनेका

नई दिल्ली: एस्ट्राजेनेका ने रविवार को कहा कि उसके कोविड-19 के टीके में पोर्क के किसी अंश का इस्तेमाल नहीं किया गया है। उसने कहा कि मुसलमानों को इस संबंध में तनिक भी चिंता करने की जरूरत नहीं है। दुनिया में सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाला देश इंडोनेशिया ने वैक्सीन में पोर्क होने का दावा किया था। इंडोनेशिया के उलेमा काउंसिल ने टीके में पोर्क के इस्तेमाल होने का दावा किया है। इसके बाद उलेमा काउंसिल ने शुक्रवार को अपनी वेबसाइट पर टीके को हराम करार देकर इंडोनेशियाई मुसलमानों से इसका इस्तेमाल न करने को कहा है। काउंसिल ने कहा, क्योंकि इसको बनाने की प्रक्रिया ट्रिप्सिन का प्रयोग किया जाता है जो सुअर के पैनक्रियाज से जुड़ा है।

एस्ट्राजेनेका ने इस पूरे प्रकरण पर सफाई दी है। कंपनी का कहना है कि उसकी कोरोना वैक्सीन में किसी भी तरह के सुअर के मांस का अंश शामिल नहीं है। हालांकि इससे पहले इंडोनेशिया में एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को इस्लाम के नियमों का उल्लंघन करने वाला बताया जा रहा है। इसके बावजूद काउंसिल की तरफ से एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को इमरजेंसी यूज के लिए मंजूरी मिली हुई है।

इस मसले पर इंडोनेशिया के फूड एंड ड्रग एजेंसी (एफडीए) की तरफ से तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। वहीं, एस्ट्राजेनेका के इंडोनेशिया प्रवक्ता रिजमान अबुदारेई ने एक बयान जारी कर कहा कि वैक्सीन प्रोडक्शन के सभी चरणों में कोरोना वायरस के खिलाफ इस वैक्सीन में न तो सुअर के मांस से जुड़ा कोई अंश है और न ही इसमें किसी अन्य जानवर से जुड़े उत्पाद का इस्तेमाल किया गया है।

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