पीड़ित के बेटे ने तकनीक की मदद से 4 घंटे में आरोपी को पकड़वाया

कई मामलों में यह देखने को मिला है कि भ्रष्टाचार व मिलीभगत की जड़ें बहुत गहरी होती हैं, इसलिए पीड़ित को न्याय मिलने में देरी होती है कुछ ऐसा ही मामला जयपुर से सामने यहाँ है जहाँ एक बुजुर्ग के साथ करीबन डेढ़ साल पहले 2 बदमाशों ने प्लॉट बेचने के नाम पर 27 लाख रुपये की धोखाधड़ी की थी।

पीड़ित बुजुर्ग ने पुलिस थाने के खूब चक्कर काटे, लेकिन तीस दबिशों के बावजूद भी आरोपी पकड़ में नहीं आ सका। लेकिन इसके बाद परिवादी के बेटे गिरिराज शर्मा ने नए ज़माने की तकनीकि का इस्तेमाल कर एक साइबर एक्सपर्ट और प्राइवेट डिटेक्टिव हायर किया। फिर उनकी मदद से 4 घंटे में ही आरोपी को पकड़वा दिया।

जानकारी के अनुसार, मामला जयपुर के बरकत नगर का है जहाँ के 72 साल के बुजुर्ग कारोबारी नवरतन शर्मा ने करीब डेढ़ साल पहले बजाज नगर थाने में धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया था। यहां तक कि उन्होंने तत्कालीन जांच अधिकारी सुनील गोदारा को आरोपियों की धर पकड़ के लिए लोकेशन से लेकर गाड़ी तक का इंतजाम करवाया, लेकिन दबिश से कुछ देर पहले आरोपी मोबाइल बंद कर देता और फरार हो जाता।

मामले की जानकारी देते हुए जांच अधिकारी प्रकाश बी ने बताया कि साल 2019 में आरोपी मोहन व गजेन्द्र ने फर्जी कागज़ तैयार कर नवरतन को 60 लाख रुपए में एक प्लाट बेचा था।

साथ ही इसके लिए 27 लाख रुपये भी ले लिए थे। बाद में जब रजिस्ट्री के लिए कहा तो बहाना बनाया। जब कारोबारी को शक हुआ तो उसने जांच-पड़ताल की तो पता चला, प्लॉट किसी और का है। जांच अधिकारी प्रकाश ने कहा कि, इस बारे में मुझे 16 दिसंबर 2020 को जांच रिपोर्ट मिली थी।

इसके बाद गिरिराज ने साइबर एक्सपर्ट की मदद से आरोपी की लोकेशन दी तो 28 जनवरी को सीकर रोड स्थित रामपुरा निवासी आरोपी मोहन शेखावत को गिरफ्तार कर लिया गया।

पीड़ित के बेटे गिरिराज को आरोपियों और पूर्व में रह चुके जांच अधिकारी की मिलीभगत का शक हुआ, क्योंकि हर बार दबिश से पहले आरोपी का मोबाइल बंद कर लेता था, जिससे उसकी लोकेशन नहीं मिल पाती थी।

इसके बाद बीते जनवरी में जब जांच अधिकारी का तबादला हुआ तो गिरिराज ने नए जांच अफसर प्रकाश बी. के साथ मिलकर एक साइबर एक्सपर्ट और एक प्राइवेट डिटेक्टिव हायर किया। साइबर एक्सपर्ट ने बताया कि, सबसे पहले हमने आरोपी के सोशल मीडिया को ट्रेस किया, इसके बाद हमने फिशिंग अटैक कर आरोपियों के इंट्रेस्ट की कुछ इमेजेज भेजी।

जैसे ही उन्होंने इमेज देखी तो हमारे पास उनकी लाइव लोकेशन मिल गई। हम यह तब तक करते रहे जब तक हम उन तक पहुंच नहीं गए।

इसके बाद हमने उस लोकेशन के आधार पर पता लगाया तो हमें जानकारी मिली कि, आरोपी मोहन कर्नाटक के नंबर की गाड़ी को इस्तेमाल करता है। इसके बाद आरोपी की लोकेशन कलेक्ट्रेट में नज़र आई।

इसके बाद जांच अधिकारी व टीम के साथ गिरिराज कलेक्ट्रेट पहुंचे। जहाँ उसे दबोच लिया गया। अब उससे इस मामले में आरोपी से पूछताछ की जा रही है।

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