योगी सरकार ने लखनऊ के नगर आयुक्त इंद्रमणि त्रिपाठी का तबादला किया

उत्तर प्रदेश सरकार ने शनिवार देर रात बड़ा प्रशासनिक फेरबदल किया है, जिसके तहत वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी और लखनऊ के नगर आयुक्त इंद्रमणि त्रिपाठी का भी तबादला कर दिया गया है. नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर) के खिलाफ घंटा घर में विरोध-प्रदर्शन वाली सैयद उजमा परवीन ने इस तबादले को लेकर योगी सरकार पर हमला किया है. उजमा परवीन ने कहा कि योगी सरकार पहले लोगों को सम्मान दिलवाती है और फिर उस कार्य के लिए अधिकारी का तबादला करवा देती है.

सैयद उजमा परवीन ने कहा कि नगर आयुक्त इंद्रमणि त्रिपाठी ने कोरोना कार्यों की वजह से उन्हें प्रशस्ति पत्र दिया था, इसी वजह से उनका तबादला कर दिया गया. ऐसा नहीं होना चाहिए था, यह गलत हुआ है. अगर कोई अधिकारी किसी व्यक्ति को उनके अच्छे कार्यों की वजह से प्रशस्ति पत्र देता है तो सरकार को उन्हें सपोर्ट करना चाहिए, ना की तबादला.

उधर तत्कालीन नगर आयुक्त इंद्रमणि त्रिपाठी के मुताबिक सैयद उजमा परवीन को गली-गली जाकर, सैनिटाइजेशन करने के लिए सरकार की मंशा के अनुसार प्रशस्ति पत्र दिया गया था.

जो भी कोरोना संक्रमण में अच्छा कार्य कर रहा था उसको प्रशस्ति पत्र दिया जा रहा था, ऐसे में विवाद खड़ा करना गलत है. प्रमुख सचिव नगर विकास को भी इस बारे में बताया गया था.

लखनऊ के नगर आयुक्त रहे इंद्रमणि त्रिपाठी का शनिवार को तबादला कर दिया गया था. नगर आयुक्त पर यह आरोप था कि उन्होंने सीएए और एनआरसी के विरोध में प्रोटेस्ट करने वाली महिला को सम्मान दिया था. जो सरकार के खिलाफ है. इस विषय में सीएम योगी को एक शिकायती पत्र भी भेजा गया था.

बता दें, सीएए और एनआरसी के प्रोटेस्ट में अहम भूमिका निभाने वाली सैयद उजमा परवीन ने कोरोना संक्रमण के दौरान अपनी पीठ पर 16 लीटर का टैंक लादकर, मंदिर-मस्जिद और अन्य जगहों पर सैनिटाइजेशन किया था. इस कार्य की वजह से वो काफी चर्चा में आ गई थी और सोशल मीडिया पर भी उनकी काफी प्रशंसा हुई थी.

इस कार्य के लिए तत्कालीन लखनऊ नगर आयुक्त इंद्रमणि त्रिपाठी ने सैयद उजमा परवीन को बुलाकर एक प्रशस्ति पत्र सील्ड और सैनिटाइजेशन की मशीन उपहार स्वरूप दी थी. जिसके बाद बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर उजमा को पुरस्कार देने का काफी विरोध किया था.

यहां तक की बीजेपी कार्यकर्ताओं ने सीएम योगी को पत्र लिखकर नगर आयुक्त के इस कार्य के लिए कार्रवाई करने तक की बात कही थी. हालांकि काफी बवाल होने के बाद सैयद उजमा परवीन ने अपना प्रशस्ति पत्र नगर निगम आयुक्त को वपस कर दिया था.

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