सावन माह की शिवरात्रि आज मनाई जा रही शिवालयों में, घर पर इस तरह करें पूजा

 सावन माह की शिवरात्रि पर रविवार को शिवालयों में जलाभिषेक व घरों में पूजा की गई। रविवार को बंदी के चलते मंदिरों में जलाभषेक के लिए कम श्रद्धालु पहुंचे। गढ़ी कैंट स्थित टपकेश्वर महादेव मंदिर में रात 12 बजे जलाभिषेक के बाद रुद्राभिषेक किया गया। वहीं, शहर में पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर सहारनपुर चौक, जंगम शिवालय पलटन बाजार, सिद्धेश्वर महादेव मंदिर कॉन्वेंट रोड, पिपलेश्वर मंदिर हरिपुर कला, कमलेश्वर महादेव मंदिर जीएमएस रोड, प्राचीन शिव मंदिर धर्मपुर, हनुमान मंदिर आराघर चौक, आदर्श मंदिर पटेलनगर में श्रद्धालुओं ने जल चढ़ाया।

टपकेश्वर मंदिर के महंत 108 कृष्णगिरी महाराज ने बताया कि कोरोनाकाल के चलते इस बार मन्दिरों में श्रद्धालु कम पहुंच रहे हैं। श्रद्धालुओं के बीच शरीरिक दूरी बनी रहे इसे लेकर सेवादल के सदस्य व्यवस्था बनाने में लगे हैं। प्राचीन शिव मंदिर धर्मपुर के मुख्य पंडित अरुण सती ने बताया कि इस दिन जल चढ़ाने के विशेष महत्व है। हर साल इसी दिन कांवड़ का जल चढ़ाया जाता है, लेकिन इस बार कांवड़ यात्रा न होने के चलते सीमित श्रद्धालु ही जलाभिषेक कर रहे हैं।

मान्यता है कि आम दिनों के मुकाबले इस दिन शिवलिंग को जल चढ़ाने से शुभ फल की कामना होती है। हर बार शिवालयों में कावंड़ का जल चढ़ता है, लेकिन इस बार कावंड यात्रा न होने से गंगा जल से अभिषेक किया जाएगा। पंडि‍त सीपी सेमवाल का कहना है कि जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त सुबह 5:40 बजे से 9:30 बजे तक रहेगा। लोग घर पर पूजा कर भगवान शिव की आराधना कर सकते हैं। मासिक शिवरात्रि के दिन शिव की पूजा करने से कष्ट दूर हो जाते हैं।

पृथ्वीनाथ मंदिर के सेवादार संजय गर्ग ने बताया कि सावन शिवरात्रि को देखते हुए मंदिर को सजाया गया है। मंदिर में आने वाले भक्तों के बीच शारीरिक दूरी बनाए रखने के लिए व्यवस्था की गई है। टपकेश्वर महादेव सेवादल के महासचिव महेश खंडेलवाल ने बताया कि मंदिर में रात 12 बजे विधिविधान से पूजा-अर्चना के बाद जलाभिषेक किया गया।

घर पर इस तरह करें पूजा

ज्योतिषाचार्य सुशांत राज के अनुसार, सावन माह की शिवरात्रि पर आज रविवार को लॉकडाउन के चलते जो भक्त मंदिरों में नहीं जा सकते, वे घर पर पूजा करें। घर के पूजास्थल पर मिट्टी का छोटा शिवलिंग बनाकर उसपर गंगाजल से जलाभिषेक करें। भगवान भोले का जाप करें। पुष्प, दूध, अर्पित कर आशीर्वाद लें।

सोमवती अमावस्या पर पितरों के निमित होगा दान

सावन मास की सोमवती अमावस्या कल मनाई जाएगी। इस दिन व्रती भगवान शिव की आराधना कर परिवार की सुख समृद्धि की कामना करेंगे। वहीं, पितरों के निमित दान किया जाएगा। सौर मास सावन पर सोमवती अमावस्या का शुभ संयोग बन रहा है। अमावस्या पर भगवान शिव की विशेष पूजा का विधान है।

चंद्रमा के दिन को अमावस्या कहा जाता है। सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या सोमवती अमावस्या कहलाती है। जिसे सावन मास में हरियाली अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। आचार्य पवन भट्ट का कहना है कि भगवान शिव की आराधना और व्रत के लिए यह दिन विशेष माना गया है। पित्रों की आत्मा की तृप्ति के लिए अमावस्या श्रद्ध की रस्मों को करने के लिए उपयुक्त है। इस दिन पितरों को पिंडदान और अन्य दान पुण्य संबंधी कार्य किए जाते हैं। श्रवण अमावस्या का शुभ मुहूर्त 20 जुलाई को दोपहर 12 बजे से एक बजकर चार मिनट तक रहेगा।

पूजा विधि

सुबह उठकर गंगा जल से स्नान करने के बाद सूर्य को अघ्र्य दें। इसके बाद पितरों के निमित तर्पण करें। सावन मास का उपवास रखकर गरीब और जरूरतमंदों को दान करें। इस दिन पौधा जरूर लगाएं। शाम को शिव की विधिवत पूजा करें। मीठे भोजन के साथ व्रत खोलें।

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