शहर फिर हो जाएगा पानी-पानी, गहरी नींद में नगर निगम

इस बार मानसून समय से पहले आने के अनुमान से नगर निगम के अधिकारी अपनी कारगुजारी को लेकर पानी-पानी हों या ना हों, लेकिन शहर का एक बार फिर ‘पानी-पानी’ होना तय है। चार दिन पहले हल्की सी बरसात ने नगर निगम अधिकारियों को दिखा दिया है कि मानसून शहर को डुबोकर ही दम लेगा। मानसून के समय से पहले आने के अनुमान की लगातार घोषणा के बावजूद भी ना तो मेयर जागे, ना उनकी टीम और ना ही अधिकारी। शहर में सीवरेज व्यवस्था चरमराई हुई है। खासकर गंदे नाले के आसपास की कॉलोनियों ज्यादा प्रभावित होंगी। इससे जालंधर वेस्ट और जालंधर नॉर्थ के लोग भड़क सकते हैं। इन इलाकों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता काफी कम होने के कारण कई इलाके सीवरेज बैक मारने की समस्या से जूझ रहे हैं और यहां सड़कों पर गंदा पानी जमा है। कांग्रेस के लिए यह समस्या भी परेशानी पैदा करने वाली है।

अकालियों के तेवर से भाजपाई खुश

डीजल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी के विरोध में अकाली दल ने केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। केंद्र सरकार में अकाली दल की प्रतिनिधि के रूप में हरसिमरत कौर बादल मंत्री हैं। आगामी विधानसभा चुनाव को करीब डेढ़ साल रह गया है। ऐसे में अकाली दल के लिए अपना किसान वोट बैंक बचाना भी जरूरी हो गया है और इस समय किसान ही सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। धान बिजाई के समय में डीजल की कीमतों में वृद्धि से किसानों में गुस्सा है। अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल के कड़े रुख के बाद जिला स्तर पर भी अकाली नेताओं ने रोष धरना शुरू कर दिया है। हालांकि अकाली दल के तेवरों से भाजपाई खुश हैं, क्योंकि भाजपा कई सालों से हाईकमान से मांग करती रही है कि पंजाब में अकेले चुनाव लडऩा चाहिए। इसलिए स्थानीय नेताओं को इसमें फायदा दिख रहा है।

भ्रष्टाचार रोकने की बजाय जिम्मेदारी डाली

आजकल आरटीए ऑफिस खूब चर्चा में है। हालांकि यह पहला मौका नहीं है, जब आरटीए डिपार्टमेंट चर्चा में आया हो। इससे पहले भी भ्रष्टाचार को लेकर यहां हलचल रहती है। पिछले दिनों एक मुलाजिम द्वारा साहब के लिए 50 हजार रुपये की मांग करने की ऑडियो वायरल हो गई। फिर क्या था, जांच चली और मुलाजिम को हटा दिया गया। फिलहाल ये पता नहीं चल पाया है कि वो साहब कौन हैं, जिनके लिए पैसे मांगे गए थे। आरटीए में तो हालात ऐसे हैं कि यहां भ्रष्टाचार रोकने की बजाय ये जिम्मेदारी तय की जा रही है कि जो पकड़ा गया, वह ही जिम्मेदार होगा। इसके लिए एक अफसर ने मुलाजिमों से लेटर भी साइन करवा लिए हैं। करिंदों की आरटीए ऑफिस में एंट्री रोकने की कोशिश की बजाय चिट्ठी पर साइन करवाने की चर्चा मीडिया में आने पर अब तो अफसर की मुलाजिमों से नाराजगी भी बढ़ गई है।

बोझ बनते जा रहे हैं चेयरमैन

नगर निगम जालंधर की एडहॉक कमेटियां बनाने के बाद से मेयर हर समय कमेटियों के चेयरमैनों से ही घिरे रहते हैं। यह कमेटियां नगर निगम के सभी विभागों का काम सुचारू ढंग से करने के उद्देश्य से बनाई गई थी, लेकिन आधी से ज्यादा कमेटियां काम नहीं कर रही। जो कमेटियों काम कर रही हैं, उनके चेयरमैन भी मेयर पर ही निर्भर हैं। निगम में अफसरशाही इतनी हावी है कि कोई भी काम आसानी से नहीं हो पाता। मेयर जगदीश राज राजा को हर चेयरमैन के साथ मीटिंग में बैठना पड़ता है या अफसरों को खुद निर्देश देने पड़ते हैं कि कमेटियों के सुझावों पर अमल हो। ज्यादातर चेयरमैन भी अफसर से सीधी बात करने की बजाय मेयर ऑफिस में डटे रहते हैं। इसे लेकर मेयर भी काफी खफा हैं। हालात ये हो चुके हैं कि जो चेयरमैन काम में हाथ बंटाने को बनाए थे, वे बोझ बन रहे हैं।

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